मुंबई। नशीली दवा की लत को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘अर्ध महामारी’ करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी एक गंभीर अपराध है। अधिकारियों को ऐसे लोगों को गिरफ्तार करते समय कानूनी प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करना चाहिए।

न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने कहा कि ड्रग तस्करों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, लेकिन यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की कीमत पर न हो। न्यायालय ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत औषधीय दवाओं के कथित कब्जे के लिए 2023 में गिरफ्तार किए गए चार मेडिकल प्रतिनिधियों को जमानत देते हुए ये टिप्पणियां कीं।

आरोपियों ने अपने आवास की तलाशी में प्रक्रियागत अनियमितताओं का हवाला देते हुए अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी। अदालत ने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि किसी आरोपी की स्वतंत्रता बहुत कीमती अधिकार है। इसे कमजोर/मनमाने तरीके से प्रक्रिया के आधार पर नहीं छीना जा सकता।
अदालत ने कहा कि नशीली दवाओं की तस्करी एक गंभीर अपराध है और नशीली दवाओं के तस्करों का खतरा पूरी दुनिया में व्याप्त है।

नशीली दवाओं/मनोरोगी लत को एक अर्ध-महामारी के रूप में वर्णित करना गलत नहीं होगा। चारों आरोपियों ने दावा किया कि वे दवा कंपनियों के साथ मेडिकल प्रतिनिधि के रूप में काम करते थे। वे एक साल से अधिक समय से हिरासत में हैं, जबकि उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। अदालत ने माना कि रिहा होने पर उनके दोबारा अपराध करने की संभावना नहीं है।