भोपाल (मध्यप्रदेश)। औषधि निरीक्षक को भ्रष्टाचार करने पर 3 साल कारावास की सजा मिली है। बालाघाट में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत वाचस्पति मिश्र ने यह सजा सुनाई। भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी तत्कालीन औषधि निरीक्षक सतीश कुलकर्णी को 3 साल कारावास के साथ दस हजार का जुर्माना भी लगया गया है। वहीं धारा 419 में 2 साल का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।

यह है मामला

सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अखिल कुशराम ने बताया कि मुकेश भार्गव ने 29 मार्च 2011 को शिकायत विशेष पुलिस और लोकायुक्त भोपाल को की थी। आरोपी सतीश कुलकर्णी तत्कालीन औषधि निरीक्षक का खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने बालाघाट से जबलपुर तबादला कर दिया था। जबलपुर में ज्वाइन करने के करीब 3 माह तक बिना किसी प्रभार के बालाघाट जिले में अवैधानिक रूप से अतिरिक्त प्रभार पर बने रहे।

असंवैधानिक रूप से कार्य करते हुए दवाई दुकानदारों को 42 ड्रग लाइसेंस जारी किए और अपने पद का दुरुपयोग कर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया। इससे लाइसेंसियों को आर्थिक लाभ पहुंचाया गय। शिकायत के बाद मामले की जांच की गई। इसके बाद आरोपी के विरूद्ध अपराध दर्ज कर न्यायालय में पेश किया गया। विशेष न्यायालय ने अभियोजन ने प्रस्तुत साक्ष्य और बहस सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है।