नई दिल्ली। ई-फार्मेसी प्लेटफॉम्र्स सरकार के रडार पर आ गए हैं। ऑनलाइन दवा पहुंचाने की सुविधा देने वाली कंपनियों को अब सरकार जांच के दायरे में लाएगी और इन पर अंकुश के लिए नया कानून लाया जा रहा है।

यह है मामला

सरकार को शिकायतें मिल रही हैं कि ऑनलाइन प्लेटफॉम्र्स सुरक्षा से जुड़े नियमों को नहीं मान रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार अब भी यदि कार्रवाई नहीं की गई तो मरीजों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो सकता है।
ऑनलाइन दवा मंगाने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है और इस सेवा में तमाम नई कंपनियां कदम रख रही हैं। सरकार को शिकायतें मिली हैं कि इनके डार्क स्टोर्स में सफाई आदि की कमी है। इसके पहले फूड डिलिवरी के डार्क स्टोर्स में भी कई कमियां सामने आई थीं।

अभी भारत में ई-फार्मेसी के लिए कोई साफ-सुथरा कानून नहीं है। पुराने कानून में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। ऐसे में सरकार ऐसी कंपनियों पर नया कानून लाने की तैयारी में है जो आधुनिक ई-फार्मेसी को कवर करेगा।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के रिटेल फॉर्मेसी मार्केट में ई-फार्मेसी की हिस्सेदारी 3-5 प्रतिशत है, जबकि विकसित देशों में 22-25 प्रतिशत तक है। भारत का कुल रिटेल फार्मेसी मार्केट 2.4 लाख करोड़ का है और इसमें 85 प्रतिशत हिस्सा अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर के पास है।