नई दिल्ली। एंटीबायोटिक दवा के ज्यादा सेवन से मौत के केस बढ़ रहे है। बिना चिकित्सक की सलाह से दवा लेना आजकल एक चलन बन गया है। यह स्थिति चिंताजनक है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी बढ़ते चलन पर चिंता जताई है। एआईजी हॉस्पिटल्स हैदराबाद के कराए गए ग्लोबल स्टडी में यह बात सामने आई है कि भारत ‘सुपरबग विस्फोट’ का सामना कर रहा है। अस्पतालों में 83 फीसदी मरीज पहले से ही दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया लेकर आ रहे हैं। स्टडी में यह चेतावनी दी गई है कि देश में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के खिलाफ जंग बेहद ‘अहम मोड़’ पर पहुंच गया है।

डॉक्टर के पर्चे के बिना दवाओं की धड़ल्ले से बिक्री ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। डॉक्टरों ने भारत, इटली, अमेरिका और नीदरलैंड के अस्पतालों में 1,200 मरीजों की जांच की। इनमें से भारतीय मरीजों में प्रतिरोधी बैक्टीरिया का उच्च स्तर पाया गया। ज्यादातर बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं पर कोई असर नहीं करता है।

2022 में दुनियाभर में 30 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत दवाओं के बेअसर होने से हुई। एक अध्ययन में यह बात सामने आई। इन बच्चों को मुख्य रूप से इंफेक्शन से संबंधित बीमारियां थीं। एंटीबायोटिक दवाओं ने काम करना बंद कर दिया। इसके कारण इतने सारे बच्चों की मौत हो गई।