लंदन। गुणवत्ता जांच में जेनेरिक कैंसर की दवाएँ फेल हो रही हैं। दुनियाभर में इस्तेमाल की जाने वाली महत्वपूर्ण कीमोथेरेपी दवाएँ गुणवत्ता परीक्षण में विफल हो जाती हैं। इससे 100 से अधिक देशों में कैंसर के रोगियों को अप्रभावी उपचार और संभावित रूप से घातक दुष्प्रभावों का खतरा होता है।

बता दें कि विचाराधीन जेनेरिक दवाएँ कई आम कैंसरों के उपचार की रीढ़ हैं। इसमें स्तन, डिम्बग्रंथि और ल्यूकेमिया शामिल हैं। फार्मासिस्टों के अनुसार कुछ दवाओं में उनके मुख्य घटक इतने कम थे कि उन्हें रोगियों को देना कुछ न करने के बराबर होगा। अन्य दवाओं में, जिनमें बहुत अधिक सक्रिय घटक होते हैं, गंभीर अंग क्षति या मृत्यु का जोखिम पैदा करते हैं। ऐसे में दोनों ही परिदृश्य भयावह हैं।

कई देशों के डॉक्टरों का कहना है कि विचाराधीन दवाएँ उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर रही थीं। इससे मरीज अचानक उपचार के प्रति अनुत्तरदायी हो गए। अन्य मरीजों को इतने जहरीले साइड इफ़ेक्ट का सामना करना पड़ा कि वे अब दवा को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। सक्रिय अवयवों के स्तरों में पाया गया अंतर चिंताजनक था। कुछ मामलों में, एक ही ब्लिस्टर पैक की गोलियों में अलग-अलग मात्राएँ थीं।