अमेरिका। शुगर के इलाज के लिए जीएलपी-1 इंजेक्शन के जेनेरिक वर्जन कोएफडीए ने मंजूरी दे दी है। टाइप 2 मधुमेह वाले 10 वर्ष और उससे अधिक उम्र के रोगियों में ग्लाइसेमिक नियंत्रण में सुधार करने के लिए 18 मिलीग्राम/3 एमएल इंजेक्शन, ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 (जीएलपी-1) रिसेप्टर एगोनिस्ट लिराग्लूटाइड (विक्टोज़ा) के पहले जेनेरिक वर्जन को मंजूरी मिली है। इस इलाज को आहार और व्यायाम के सहायक के रूप में दर्शाया गया है।

गौरतलब है कि लिराग्लूटाइड इंजेक्शन को 2010 में टाइप 2 मधुमेह वाले वयस्कों के लिए बनाया गया था। 2019 में इसका विस्तार करते हुए 10 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों को शामिल किया गया। यह टाइप 2 मधुमेह वाले बच्चों और किशोरों के लिए अनुमोदित पहला जीएलपी -1 रिसेप्टर एगोनिस्ट था।

एफडीए अनुसार लिराग्लूटाइड इंजेक्शन और अन्य जीएलपी-1 एगोनिस्ट की कमी के कारण इस क्षेत्र में दवाओं के लिए जेनेरिक दवा अनुप्रयोग प्राथमिकता है। 1 एफडीए अर्जित करने वाली दवाओं के इस वर्ग में पहली जेनेरिक दवा अनुमोदन, एक सामान्य संदर्भित एक्सेनाटाइड (बाइटा), को नवंबर 2024 में अनुमोदित किया गया था।

एफडीए आवश्यक दवाओं तक पहुंच बढ़ाने के प्रयासों में जीएलपी -1 जैसी जटिल जेनेरिक दवाओं के विकास का समर्थन करता है। लिराग्लूटाइड इंजेक्शन के नैदानिक परीक्षणों में मतली, दस्त, उल्टी, भूख में कमी, अपच और कब्ज सबसे आम प्रतिकूल घटनाएं थीं। अनुमोदित जेनेरिक लिराग्लूटाइड में थायरॉइड सी-सेल ट्यूमर के बढ़ते जोखिम के लिए एक बॉक्स्ड चेतावनी भी शामिल है। इसका अर्थ है कि जिन लोगों को मेडुलरी थायरॉयड कार्सिनोमा है या जिनके परिवार के सदस्यों को लिराग्लूटाइड का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लासिया सिंड्रोम टाइप 2 वाले मरीजों को भी लिराग्लूटाइड का इस्तेमान नहीं करना है ।