मुंबई। एचआईवी दवा मामले में भारतीय पेटेंट कार्यालय सुनवाई करेगा। भारतीय पॉलिटिकल कार्यालय अमेरिकी दवा कंपनी गिलियाड साइंसेज द्वारा प्रोटेस्ट के संकल्प ट्रस्टों की इच्छाओं पर सुनवाई के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है।
बता दें कि साल में दो बार दी जाने वाली इस इंजेक्शन वाली दवा ने फैजाबाद की रोकथाम क्षमता के लिए ध्यान आकर्षित किया है। दरअसल, कई नैदानिक परीक्षणों ने प्री-एक्सपोजऱ प्रोफिलैक्सिस (पीआरईपी) के रूप में जेनेटिक मानी जाने वाली मानक औषधियों की खुराक दी है। तुलना में बेहतर प्रभावकारिता का चित्रण किया गया है। यूएनडीएस के अनुसार, यह नई एचआईवी दवा है। यदि सभी लोगों तक एड्स की ये दवा पहुंचे तो एड्स समाप्त करने की आशा प्रदान की जा सकती है।
बता दें कि एचआईवी के प्रति संवेदनशील लोगों के साथ काम करने वाले नागरिक समाज संगठन संकल्प ने 2021 में प्लास्टिक अनुप्रयोगों के इस आधार पर विरोध किया कि दवा में पहले से निहित सिद्धांतों को शामिल किया गया है। इसे भारतीय प्लास्टिक अधिनियम के तहत आविष्कार नहीं माना जाना चाहिए।
वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में मेडिसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स (एमएसएफ) की दक्षिण एशिया प्रमुख लीना मेंघानी ने ग्रैथ को बताया कि गिलियड के पास भारत में लेने के लिए कई प्लाटअप आवेदन हैं। 2020 में बनाए गए इन आवेदनों में से दो, औषधि में कोलीन और नमक पर नमक लगाना चाहते हैं।
संकल्प का तर्क यह है कि गिलियड के दो पोर्टेबल आवेदन नए नहीं हैं। भारतीय पेटेंट कानून सदाबहार को प्रतिबंधित करता है। जो एक ऐसी प्राथमिक उत्पाद निगम द्वारा अपने उत्पाद को एकाधिकार प्राप्त मानक 20-वर्ष की अवधि से आगे बढ़ाने के लिए नियमित संशोधनों पर लागू करना चाहता है।