नई दिल्ली : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तहत पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) ने एक मरीज के नमूने से मंकीपॉक्स वायरस को अलग कर दिया है, जो बीमारी के खिलाफ जांच ​​किट और टीके के विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी ।

भारत द्वारा वायरस को अलग किए जाने के साथ ही आईसीएमआर ने टीका विकास और जांच किट बनाने में संयुक्त सहयोग के लिए अनुभवी टीका निर्माताओं, फार्मा कंपनियों, अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आईवीडी) किट निर्माताओं से रुचि पत्र (ईओआई) भी आमंत्रित किया।

एनआईवी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि वायरस को अलग करना कई अन्य दिशाओं में अनुसंधान और विकास करने की भारत की क्षमता को बढ़ाता है यह खबर भारत में मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आने के बीच आई है।

डॉ. यादव ने कहा, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने एक मरीज के जांच ​​​​नमूने से मंकीपॉक्स वायरस को सफलतापूर्वक अलग कर दिया है जो भविष्य में नैदानिक ​​किट और टीके के विकास में मदद कर सकता है।

ईओआई दस्तावेज में कहा गया है कि आईसीएमआर मंकीपॉक्स रोग के विरुद्ध टीका विकास और जांच किट के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में संयुक्त सहयोग के तहत विनिर्माण कार्य के वास्ते मंकीपॉक्स वायरस स्वरूप/ आइसोलेट्स उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।