नई दिल्ली। सेमाग्लूटाइड दवाओं के निर्माण में कई प्रमुख भारतीय फार्मा जुट गई हैं। डेनमार्क की फार्मा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क द्वारा निर्मित वजन घटाने और डायबिटीज की दवाएं Wegovy और Ozempic का पेटेंट भारत समेत कई देशों में 2026 में समाप्त हो रहा है। इस मौके का लाभ उठाने के लिए डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज, ज़ाइडस लाइफसाइंसेज और एमएसएन लैब्स जैसी भारतीय दवा कंपनियां तैयार है।
Zydus ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करते हुए सेमाग्लूटाइड के लिए एक नई निर्माण इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया है। Dr Reddy’s इस परियोजना पर पिछले दस वर्षों से काम कर रहा है। कंपनी का लक्ष्य न सिर्फ भारतीय बल्कि कनाडा, ब्राजील सहित करीब 80 वैश्विक बाजारों को भी टारगेट करना है, जो 2026 में खुलने वाले हैं।
डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के सीईओ एरेज़ इजऱायली ने बताया कि कंपनी API (Active Pharmaceutical Ingredient) और तैयार दवा दोनों क्षेत्रों में निवेश कर रही है। वह अपने वैश्विक भागीदारों के साथ काम कर रही है और कुछ बाज़ारों में सीधे खुद भी उत्पाद बेचने की तैयारी में है।
हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी एमएसन लैब्स ने सेमाग्लूटाइड के लिए विशेष प्लांट शुरू किया है और वह वैश्विक बाजार को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है। इसके अलावा सन फार्मा, बायोकॉन, सिप्ला, मैकलियोड्स, हेटेरो लैब्स और नैटको फार्मा जैसी बड़ी कंपनियां भी इस सेगमेंट में अपनी रणनीति बना रही हैं।