नई दिल्ली। आयुर्वेद दवाओं के चमत्कारी प्रभावों का दावा करने वाले विज्ञापन अवैध माने जाएंगे। ऐसे विज्ञापन सार्वजनिक स्वास्थ्य को गुमराह और खतरे में डाल सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सार्वजनिक नोटिस में स्पष्ट किया कि वह किसी भी आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथिक कंपनी या उसकी दवा को प्रमाणित या अनुमोदित नहीं करता है। वहीं किसी एएसयूएंडएच निर्माता या कंपनी को इन दवाओं की बिक्री के लिए विनिर्माण का लाइसेंस नहीं देता है।

गौरतलब है कि अलग अलग रोगों का उपचार करने के लिए कई आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर खास तरह के दावे किए जाते है। कई आयुर्वेदिक दवाओं पर चमत्कारी या अलौकिक प्रभाव का दावा मिलता है। ऐसी दवाएं आमतौर पर आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी पर लिखा होता है। मगर ऐसी दवाओं पर होने वाले दावे को लेकर केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने बड़ा दावा किया है।

मंत्रालय ने कहा है कि रोगों के उपचार के लिए चमत्कारी या अलौकिक प्रभावों का दावा करने वाली एएसयूएंडएच दवाओं का विज्ञापन करना अवैध है। ऐसे विज्ञापन असत्यापित या झूठे दावों को बढ़ावा देकर सार्वजनिक स्वास्थ्य को गुमराह और खतरे में डाल सकते हैं।

इस अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया कोई भी व्यक्ति कानून के तहत निर्धारित दंड के लिए उत्तरदायी होगा। सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि अनुसूची-एल में शामिल आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी (एएसयू) औषधियों का सेवन आयुष चिकित्सा की संबंधित प्रणाली के पंजीकृत चिकित्सक की देखरेख और मार्गदर्शन में किया जाना अनिवार्य है।