देश में चिकित्सा शिक्षा को विनियमित यानी डीरेग्युलेट करने के लिए केंद्र सरकार ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को खत्म कर एक नया रेग्युलेटरी मेडिकल कमिशन नियुक्त करने का फैसला किया है। इसके लिए चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। कैबिनेट की बैठक के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 को कैबिनेट की मंजूरी की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार इसी सत्र में विधेयक पेश करेगी। बतादे कि विधेयक में मेडिकल में प्रवेश के लिए एक कॉमन प्रवेश परीक्षा की बात कही गई है। हालांकि NEET के रूप में यह अभी भी हो रही है लेकिन एक लाइसेंसिएट एग्जाम की बात भी इसमें कही गई है जिसका मतलब है कि डिग्री लेने के बाद भी एक परीक्षा पास करनी होगी तभी डॉक्टर होने का लाइसेंस मिलेगा। इसी प्रकार विधेयक में प्रावधान यह भी है कि मेडिकल में पीजी में सीटें बढ़ाने के लिए नियामक से मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। नियमों का पालन नहीं करने पर आयोग सख्त जुर्माना भी कॉलेज पर लगा सकेगा। यह विधेयक चिकित्सा शिक्षा में बड़े सुधारों के मकसद से लाया जा रहा है। चिकित्सा शिक्षा का जिम्मा अभी MCI के पास है लेकिन MCI पर लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे। कुछ साल पहले जब इसके चैयरमैन केतन देसाई को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था तभी से MCI को खत्म कर नई एजेंसी बनाने की कोशिश होती रही है और अब यह कोशिश सफल होती भी दिख रही है।
दरअसल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मसौदा विधेयक में चार स्वायत्त बोर्डों के गठन का प्रस्ताव है जिन पर स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षण संचालित करने, मेडिकल संस्थानों का मूल्यांकन करने और उन्हें मान्यता देने और नैशनल मेडिकल कमिशन के तहत प्रैक्टिस करने वालों का पंजीकरण करने की जिम्मेदारी होगी। मसौदा विधेयक के मुताबिक आयोग में सरकार द्वारा मनोनीत अध्यक्ष और सदस्य होंगे और बोर्ड के सदस्यों का चयन कैबिनेट सचिव के तहत एक छानबीन समिति करेगी। आयोग में 5 चुने हुए और 12 पदेन सदस्य होंगे। अधिकारी ने कहा कि मसौदा विधेयक में समान प्रवेश परीक्षा का भी प्रस्ताव होगा।