मौसमी बीमारियां पसार रहीं पैर, 40 फीसद तक बढ़ी दवा की मांग

मेरठ। बदलते मौसम के साथ कई तरह की बिमारियों ने पैर पसारने शुरू कर दिया है। डेंगू, वायरल फीवर जैसी बिमारियों ने बड़े से लेकर बच्चों तक को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में बुखार, खांसी व जुकाम के मरीज सामने आने लगे हैं। इससे खैरनगर दवा बाजार में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद फिर से चहलकदमी तेज हो गई है। पिछले करीब दस दिनों में बुखार, खांसी व जुकाम आदि की दवाओं की मांग तीस से चालीस फीसद तक बढ़ गई है।

बता दें कि एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग जीवाणु व विषाणु के विकास रोकने व उनके खात्मे के तौर पर होता है। इनमें सेफेक्सिम, ओफ्लोक्सासिन, सफुरोक्सिम क्लैवुलनेट आदि की डिमांड बढ़ी है। वहीं बुखार की रोकथाम के लिए पैरासिटामोल व खांसी के लिए क्लोरफेनेरमाइन व हाड्रोब्रोमाइड व अम्ब्रोक्सल, गुआइफेनेसिन का उपयोग किया जा रहा है। मल्टीविटामिन के तौर पर बीकोस्यूल जेड आदि का प्रयोग हो रहा है। खैरनगर दवा बाजार के थोक दवा विक्रेता उपेंद्र कुमार ने बताया कि टैबलेट से ज्यादा खांसी, बुखार व जुकाम के सिरप की मांग अधिक है।

मध्य अगस्त तक इनकी बिक्री न के बराबर थी। अचानक बुखार, खांसी आदि की दवाओं की बिक्री चालीस फीसद तक बढ़ी है। मेरठ जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल ने बताया कि बारिश के बाद पिछले करीब एक सप्ताह से दवाइयों की डिमांड बढ़ी है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों के मेडिकल स्टोर संचालकों की ओर से डिमांड कम है। इसके पीछे एक प्रमुख वजह यह है कि कुछ छोटी कंपनी मुनाफे के लिए सीधे ग्रामीण क्षेत्रों का रुख कर रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र में तीन से चार हजार स्टोर संचालक हैं। कंपनियां इन्हें बिना बिल के ही दवाइयों की खेप पहुंचा रही हैं।

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