हर्बल प्रोडक्ट के नाम पर ड्रग्स की सप्लाई

नई दिल्ली। डीआरआई (डायरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटेलिजेंस) ने फॉरेन पोस्ट ऑफिस से भारी मात्रा में बैन ड्रग्स जब्त की है। इन ड्रग्स को हर्बल और हेल्थ प्रोडक्ट के नाम पर विदेशों में भेजा जा रहा था। ड्रग्स को कैप्सूल और टेबलेट्स की शक्ल में छोटे-छोटे पैकेट में पैक करके फॉरेन पोस्ट ऑफिस के जरिए अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में भेजा जा रहा था। जानकारी के मुताबिक दस करोड़ की कीमत की साढ़े 3 लाख टैबलेट को विदेश भेजने की तैयारी थी। जब्त की गई दवाओं में अल्प्राजोलम, एम्टेमिन, डायजेपाम, लोराजपम, नितराजपम, ोलपिडेम, ऑक्सिकोडोने, ट्रमदोल नाम की बैन ड्रग्स है। डीआरआई के अधिकारी ने मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि हमारे विभाग के लोग 24 घंटे हर पार्सल पर नजर रख रहे थे।
ये शिपमेंट अलग-अलग देश के अलग-अलग पते पर भेजी जा रही थी। डीआरआई को जब इनके हर्बल या हेल्थ प्रोडक्ट होने पर शक हुआ तो जांच की गई और ड्रग तस्करी के इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। डीआरआई को विदेशों से जानकारी मिल रही थी कि उनके देशों में भारत से भारी मात्रा में टैबलेट्स और कैप्सूल की शक्ल में ड्रग्स भेजी जा रही है। डीआरआई ने उन इनपुट पर काम करना शुरू किया। सबसे पहले फॉरेन पोस्ट ऑफिस पर चौबीस घंटे यहां से जाने वाले हर पार्सल पर बारीकी से नजर रखी गई। डीआरआई को शक उस समय हुआ, जब हर्बल और हेल्थ प्रोडक्ट के नाम पर ये टैबलेट्स और कैप्सूल विदेशों में भेजे जा रहे थे। जब इन टैबलेट्स और कैप्सूल की जांच की तो पता चला कि ये सब भारत और विदेशों में बैन कैप्सूल हैं, जिन्हें नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो ने पूरी तरह बैन कर रखा है।
इसके बाद डीआरआई ने 10 करोड़ रुपए कीमत की ये ड्रग्स जब्त कर ली और इनको विदेश भेजने वाले की तलाश में जुट गई। डीआरआई के रडार पर अब ये पूरा इंटरनेशनल ड्रग रैकेट है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व अधिकारी ने बताया कि भारत में कंट्रोल और प्रोहिबिटेड ड्रग्स वो होती है जिनका इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है और जिनको बेचने या बनाने पर एक नोटिफिकेशन द्वारा एनसीबी रोक लगा देती है। या कुछ खास ड्रग्स को बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के नहीं बेच सकते। लेकिन भारत में ड्रग तस्कर तय मात्रा से ज्यादा ऐसी ड्रग्स को बनाते हैं और उसे विदेशों में एक्सपोर्ट करते हैं।
फॉरेन पोस्ट ऑफिस के जरिए लोग स्मगलिंग ज्यादा करते हैं क्योंकि इसमें ज्यादा दस्तावेजों की जरूरत नहीं होती। कोई डिक्लेरेशन नहीं देना पड़ता और जल्दी क्लीयरेन्स भी मिल जाता है। यही वजह है कि ड्रग तस्करों के लिए फॉरेन पोस्ट ऑफिस सबसे आसान रास्ता है। डीआरआई अब दस्तावेजों के आधार पर इन ड्रग्स को भेजने वालों के नाम और पते जानने की कोशिश कर रही है कि ये ड्रग्स विदेशो में किस जगह और किसको भेजी जा रही थी। जांच के दायरे में वो दवाई बनाने वाली वो फैक्टरियां भी हंै, जहां पर इनको बनाया गया है। इससे पहले भी डीआरआई यहां पर छापेमारी कर चुकी है। 2016 में 17 लाख टेबलेट जब्त की थीं और दिल्ली, मुंबई, लुधियाना और चंडीगढ़ से 11 लोग गिरफ्तार किए थे। बताया जा रहा है कि इस मामले में डीआरआई की छापेमारी जारी है और जल्द ही कुछ गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।
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