राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने डॉक्टरों के द्वारा केवल जेनेरिक दवाएं ही लिखने वाले नियम को स्थगित कर दिया है। एनएमसी ने डॉक्टरों के फार्मा कंपनियों से उपहार न लेने और साथ ही साथ फार्मा कंपनियों द्वारा प्रायोजित सम्मेलनों में भाग न लेने के नियम को भी स्थगित कर दिया है। एनएमसी के इस फैसले का डॉक्टरों ने स्वागत किया है।
एनएमएसी ने अधिसूचना में कहा, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (व्यावसायिक आचरण) नियम, 2023 को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाता है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा अगली अधिसूचना जारी होने तक यह नियम प्रभावी नहीं होगा।
IMA ने NMC के द्वारा जेनेरिक दवा लिखने के नियम पर आपत्ति जताई थी
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) ने एनएमसी के द्वारा केवल जेनेरिक दवा लिखने के नियम पर आपत्ति जाहिर की थी। इन दोनों संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। आईएमए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर सभी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित होने तक जेनेरिक दवाएं अनिवार्य रूप से लिखने संबंधी आदेश को वापस लेने की मांग की थी।
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साथ ही दोनों संस्थाओं के प्रतिनिधि ने कहा था कि इन दवाओं की गुणवत्ता के बारे में अनिश्चितता के कारण यह संभव नहीं है। उन्होंने यह सुझाव भी दिया था कि रजिस्ट्रेशन कराए हुए डॉक्टरों को फार्मा कंपनियों या स्वास्थ्य क्षेत्र के सहयोगी संगठनों द्वारा प्रायोजित सम्मेलनों में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।
आईएमए और आईपीए ने पुर्नविचार करने की मांग की
आईएमए और आईपीए ने मिलकर डॉक्टरों के द्वारा फार्मा कंपनियों द्वारा प्रायोजित सम्मेलनों में भाग न लेने के नियम और फार्मा कंपनियों से उपहार ना लेने वाले नियम पर पुर्नविचार करने की मांग की थी। दोनों संस्थाओं की मांग थी कि संगठनों को एनएमसी दिशा-निर्देशों के दायरे से छूट दी जानी चाहिए।