नई दिल्ली। मोटापा कम करने वाली दवा की करोड़ों में बिक्री होने का समाचार है। अमेरिकी दवा निर्माता इल्ली लाइली की दवा मौनजारो ने भारत मेंचार महीने में 100 करोड़ की बिक्री कर ली है। यह दवा तेजी से बढऩे वाले प्रिस्क्रिप्शन ब्रांड्स में से एक बन गई है।
फार्माट्रैक के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में मौनजारो की बिक्री 47 करोड़ रुपये रही। यह जून के मुकाबले दोगुनी थी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मार्च 2026 तक इसकी आमदनी 500 करोड़ को पार कर सकती है। इस क्षेत्र में जल्द ही कीमतों में गिरावट आ सकती है। दरअसल, नोवो नॉर्डिस्क (Novo Nordisk) की दवा (Wegovy), जो GLP1 मोलेक्यूल से बनी है। इसके जेनेरिक वर्जन मार्केट में आने वाले हैं।
वेगोवी ने भी जून में लॉन्च के बाद दो महीनों में 10 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की है। वेगोवी के पास मौजूदा रेस में मजबूत प्रिस्क्राइबर बेस है। मौनजारो के मुकाबले में इसे अधिक प्रचार करना होगा। मौनजारो ने अब तक लगभग 1,60,000 यूनिट बेची हैं और वेगोवी के 5,000 यूनिट ही बिके हैं।
मौनजारो की एक बड़ी खासियत इसकी वजन घटाने की क्षमता है। ये 20-22 फीसदी तक है, जबकि वेगोवी की यह क्षमता 16-18 फीसदी के आसपास है। मौनजारो की कीमत भी वेगोवी के मुकाबले कम है। इससे यह मरीजों के लिए ज्यादा आकर्षक साबित हो रही है। वेगोवी की कीमत प्रति माह 17,345 से 26,050 रुपये के बीच है। मौनजारो की कीमत 14,000 से 17,500 रुपये के बीच है।
डायबिटीज के मरीज ज्यादातर वेगोवी को पसंद करते हैं। गैर-डायबिटीज वाले मोटापे से जूझ रहे मरीज मौनजारो को चुनते हैं। मौनजारो न केवल मोटापे के इलाज में बल्कि टाइप-2 डायबिटीज में ग्लाइसेमिक कंट्रोल सुधारने में भी सहायक है। वहीं, वेगोवी का उपयोग मोटापे के अलावा बड़े कार्डियोवैस्कुलर रिस्क को कम करने के लिए भी किया जाता है।