नई दिल्ली। डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चलाने से दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि पर रोक लगाई है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने डाबर की याचिका पर अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की। डाबर की याचिका में आरोप लगाया गया था कि पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश विशेष रूप से डाबर च्यवनप्राश और सामान्य रूप से च्यवनप्राश का अपमान कर रहा है। पतंजलि के विज्ञापन में दावा किया गया है कि किसी अन्य निर्माता को च्यवनप्राश तैयार करने का ज्ञान नहीं है, जो सामान्य अपमान है।

वहीं, विज्ञापनों में (आयुर्वेदिक औषधि/दवा के संबंध में) गलत और भ्रामक बयान दिए गए हैं। इसमें डाबर च्यवनप्राश के साथ अपमानजनक तुलना की गई है। डाबर की ओर से अधिवक्ता जवाहर लाला और मेघना कुमार उपस्थित हुए। कहा गया कि विज्ञापन में अन्य सभी च्यवनप्राश के संबंध में ‘साधारण’ उपसर्ग का प्रयोग किया गया है, जो दर्शाता है कि वे निम्न हैं। इस मामले में अदालत ने अगली सुनवाई 14 जुलाई को तय की है।

शरबत विवाद में भी पतंजलि की हो चुकी किरकिरी

हाईकोर्ट इससे पहले बाबा रामदेव के हमदर्द कंपनी के शरबत पर ‘शरबत जिहाद’ वाली विवादित टिप्पणी मामले पर नाराजगी जाहिर कर चुका है। कोर्ट ने रामदेव को हमदर्द के उत्पादों के बारे में कोई भी बयान जारी करने से मना किया था। बीते एक मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा था कि योग गुरु बाबा रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं और अपनी ही दुनिया में रहते हैं।