नई दिल्ली। कोरोना संकट के बाद भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है।  तमाम अर्थशास्त्री इस बात को कह रहे हैं, और सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है।  पिछले दो महीने में कोरोना वायरस की वजह से स्थितियां ऐसी करवट ली हैं कि भारत को अपनी ताकत का अहसास हो गया है।  दरअसल जिन चीजों से लिए भारत हमेशा पूरी तरह से चीन समेत दूसरे देशों पर निर्भर था।  आज उसी फील्ड में भारत ने अपना सिक्का जमा दिया है।  कोरोना वायरस के फैलने से भारत पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE)किट की सप्लाई के लिए विदेशों की तरफ देख रहा था।  क्योंकि भारत में मार्च से पहले क्लास-3 लेवल पीपीई नहीं बनते थे। लेकिन अब कोरोना वारस ने भारत को आत्मनिर्भर बना दिया है।  फरवरी-2020 से पहले भारत में स्टैंडर्ड PPE किट नहीं बनता था।   इस बीच जब दुनिया में कोरोना वायरस का कहर बढ़ने लगा तो भारत भी इससे मुकाबले की तैयारी में जुट गया और विदेश से 52,000 किट मंगवाए गए।  लेकिन जिस तेजी से कोरोना के मामले सामने आए ये विदेशी PPE किट कम पड़ने लगे।

अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों में बड़े पैमाने पर PPE किट तैयार किए जाते हैं, और भारत यहीं से आयात करता था, लेकिन अब भारत में अंतराराष्ट्रीय मानक के PPE किट बनाए जा रहे हैं।  अगर प्रोडक्शन के आंकड़ों को देखें तो आज भारत दुनिया में पीपीई किट बनाने के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। भारत में फिलहाल WHO के स्टैंडर्ड के मुताबिक 106 मैन्युफैक्चर PPE किट बनाने में जुटे हैं।  यही नहीं, देश में बेहद कम लागत पर बेहतरीन क्वालिटी के पीपीई किट तैयार किए जा रहे हैं और ये सबकुछ पिछले दो महीने में हुआ है।  मार्च के आखिरी हफ्ते में WHO से भारत को PPE किट बनाने की हरी झंडी मिली थी।

आंकड़ों के मुताबिक भारत में फिलहाल हर दिन 1.7 लाख पीपीई किट तैयार हो रहे हैं, और रोज 2 लाख किट तैयार करने का लक्ष्य है।  दरअसल भारत में रिकॉर्ड स्तर पर पीपीई किट बनाने लक्ष्य टैक्सटाइल मंत्री स्मृति ईरानी की अगुवाई में हासिल हुआ है। कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने मंत्रालय के माध्यम से देश में मास्क और पीपीई किट को लेकर त्वरित कदम उठाए, कई गारमेंट्स और जूट कंपनियों को PPE किट बनाने का जिम्मा सौंपा गया है।  बकायदा इसके लिए वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया।  आज की तारीख में भारत इतने पीपीए किट बना रहा है कि वो निर्यात भी कर सकता है, लेकिन फिलहाल रिकॉर्ड प्रोडक्शन के बावजूद कपड़ा मंत्रालय ने पीपीई किट की निर्यात पर बैन लगा रखा है।  हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अगर कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो देश में जून तक 2 करोड़ पीपीई किट की जरूरत हो सकती है।

गौरतलब है कि दो महीने में कम वक्त में ही भारत ने पीपीई किट बनाने में दूसरा स्थान हासिल कर लिया है।  कई एयरलाइंस कंपनियां से सरकार को पीपीई किट की ऑर्डर हासिल हुई है और साथ ही विदेश से भी किट की डिमांड हो रही है।  भारत में पीपीई किट का कारोबार करीब 7000 करोड़ रुपये का हो गया है।  यही नहीं, जानकार बता रहे हैं कि आने वाले दिनों में और तेजी से देश में इस कारोबार का विस्तार होगा।