नई दिल्ली। डायबिटीज यानि शुगर का इलाज कराना अब आम आदमी के बस से बाहर की बात होती जा रही है। दरअसल, शुगर की जांच करवाने से लेकर उसके इलाज की दवाइयों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो गई है। जबकि इस बीमारी की चपेट में बड़ी आबादी है।
यह है मामला
वर्तमान में एक सामान्य फिजीशियन की फीस 500 रुपए है। जैसे-जैसे इनका कद बढ़ता जाएगा, मरीज को एक हजार से लेकर 2 हजार रुपए तक की फीस अदा करनी होगी। यहां से जांच और इलाज की प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं। दवाओं की बाते करें तो सामान्य शुगर रोगी के लिए 10 गोलियों के एक पत्ते की कीमतों में 15 से 20 रुपए बढ़ गए हैं। रोग जिस स्तर का होगा, डाक्टर अधिक कांबीनेशन लिखता है तो यह कीमत और भी बढ़ जाती है। लैब में एक बार जांच कराने पर 100 से 150 रुपए लगते हैं। जबकि साल में दो से तीन बार होने वाले एचबी ए-1 सी जांच के लिए 200 से 250 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
गौरतलब है कि घर पर शुगर की जांच कराने के लिए ग्लूकोमीटर का सहारा लेना पड़ता है। इसकी 25 स्ट्रिप के पैकेट पर 80 से 100 रुपए की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। बीते तीन महीनों में हुई इस बढ़ोत्तरी के बाद हर माह मरीज की जेब से करीब 150 रुपए अतिरिक्त का खर्चा बढ़ गया है।
सामान्य शुगर के मरीज के लिए 10 गोलियों का पत्ता 110 से 130 रुपए के बीच है। औसत 120 रुपए प्रति पत्ते के हिसाब से महीने में तीन पत्ते चाहिए। यानि 360 रुपए खर्च होंगे। जांच के लिए 25 स्ट्रिप का पैकेट करीब 400 का है। पांच और जोड़ें तो करीब 440 की पड़ेंगी। करीब 800 रुपए का खर्चा हर माह होगा और डाक्टर की फीस इससे लगे रहेगी।