रांची। रिम्स में पहले से ही टेंडर का मामला अटका चल रहा है। अब इसी कड़ी में एक और टेंडर के अटक जाने से मरीजों को सस्ती दवा मिलने में मुश्किल हो सकती है। बता दें कि अब मरीजों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने का मामला भी टेंडर के चक्कर में अटक गया है। टेंडर नहीं होने के कारण जन औषधि केंद्र के संचालन के लिए दोबारा से टेंडर निकाला गया है। जिससे साफ है रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को सस्ती दवा के लिए अभी और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। वही टेंडर फाइनल होने तक उनकी जेब पर बोझ बढ़ता रहेगा।
बता दें कि पिछले महीने 20 अगस्त को रिम्स से दवाई दोस्त को खाली करा दिया गया था। वहीं 22 अगस्त को जन औषधि का टेंडर फाइनल करने की बात डायरेक्टर ने कही थी। साथ ही कहा था कि मरीजों को 24 घंटे जन औषधि केंद्र में सारी दवाई सस्ती दर पर उपलब्ध कराई जाएगी। लेकिन एक महीने बीत जाने के बाद भी टेंडर फाइनल नहीं हो पाया। और न ही जन औषधि में सभी दवाएं आई। इस चक्कर में मरीजों के इक्का-दुक्का दवाएं ही मिल रही है। बाकी की दवाओं के लिए प्राइवेट मेडिकल के चक्कर लगाने पड़ रहे है।
तो वहीँ प्रबंधन ने नए सिरे से जन औषधि केंद्र के संचालन के लिए टेंडर निकाला है। जिससे कि पहले ही एक महीने की देरी हो चुकी है। वहीं अगले महीने तक टेंडर फाइनल होने की उम्मीद है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अन्य टेंडर की तरह ही इस टेंडर में भी जानबूझकर तो देरी नहीं की जा रही है। जिससे कि जन औषधि केंद्र का टेंडर अधर में लटक जाए। इसके बाद मरीजों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने के नाम पर दुकान किसी खास को दे दिया जाए। बताते चलें कि पहले से रिम्स कई आउटसोर्स एजेंसियां बिना टेंडर के ही काम कर रही है।
रिम्स प्रबंधन ने 20 अगस्त को कैंपस से दवाई दोस्त को हटा दिया था। इसके बाद 22 अगस्त को जन औषधि केंद्र का टेंडर फाइनल किया जाना था। लेकिन आजतक टेंडर फाइनल नहीं किया जा सका। अब नए सिरे से 15 सितंबर को जन औषधि केंद्र के लिए टेंडर निकाला गया है। जिसके फाइनल करने की डेट अभी तय नहीं है। टेंडर क्लोजिंग की डेट 8 अक्टूबर है. जबकि 9 अक्टूबर को टेक्निकल बिड खोला जाएगा।