गोरखपुर। रक्त का थक्का रोकने में इंजेक्शन के बजाए टेबलेट्स को ज्यादा असरदार पाया गया है। गौरतलब है कि घुटने, कूल्हे या पेट की सर्जरी के बाद आमतौर पर मरीजों के शरीर में रक्त के थक्के बनने लगते हैं। जब धमनियों में थक्के बनने शुरू हो जाएं तो यह जानलेवा हो जाता है।
एम्स की एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. स्मिता वाजपेई का कहना है कि खून का थक्का बनने से रोकने में गोलियां ज्यादा असरदार हैं। दरअसल, सामान्य तौर पर इंजेक्शन इनॉक्सेपेरिन लगाया जाता है। इसकी जगह तीन दवाओं का विकल्प बेहतर है। इसके लिए उन्होंने तीन साल तक एम्स में आने वाले मरीजों पर शोध कर तीनों दवाओं का परीक्षण किया है, जो इंजेक्शन से ज्यादा असरदार साबित हुए हैं। राहत की बात यह है कि यह गोली इंजेक्शन की तुलना में मरीजों को देने में आसान है।
डॉ. स्मिता ने रिवरॉक्साबैन, फोंडापरिनक्स और एडोक्साबैन दवाओं का इस्तेमाल किया। अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि तीनों दवाओं की गोलियां इनॉक्सेपेरिन इंजेक्शन की तुलना में काफी असरदार हैं। डॉ. स्मिता ने बताया कि इंजेक्शन के तौर पर तीन दवाएं एक अच्छा और बेहतर विकल्प हैं।