एफडीसी दवा पर सरकार ने लगााया बैन, सर्दी-जुकाम से बचाव में आती हैं काम

एफडीसी दवा

नई दिल्ली। एफडीसी दवा के नौनिहालों के लिए इस्तेमाल पर सरकार ने बैन लगा दिया है। भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने प्रतिबंध का यह फैसला दुनियाभर में 141 बच्चों की मौत के मद्देनजर लिया है। एफडीसी के इस्तेमाल को चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए घातक माना गया है।

दवा नियामक ने आदेश में दवाओं की लेबलिंग इसी के अनुसार करने की भी बात कही है। बता दें कि निर्धारित दवा संयोजन में क्लोरफेनिरामाइन मैलेट और फिनाइलफ्राइन शामिल हैं। इसका इस्तेमाल अक्सर सर्दी-जुकाम से बचाव के लिए सिरप या गोलियों के रूप में किया जाता है।

उत्पादों पर चेतावनी के साथ लेबल लगाने के निर्देश

एंटी-कोल्ड ड्रग कॉम्बिनेशन को ही फिक्स्ड-ड्रग कॉम्बिनेशन (एफडीसी) कहा जाता है। इन दवाओं पर नियामक ने अपने निर्देश बीते दिवस ही सार्वजनिक किए हैं। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने कहा कि दवा निर्माताओं को अपने उत्पादों पर चेतावनी के साथ लेबल लगाने होंगे। चेतावनी में एफडीसी का इस्तेमाल चार साल से कम उम्र के बच्चों में नहीं किया जाना चाहिए, लिखा हो। नियामक का कहना है कि बच्चों में एंटी-कोल्ड ड्रग कॉम्बिनेशन को लेकर शिकायतें मिल रही है। इसलिए यह फैसला लिया गया है।

बच्चों के लिए जानलेवा है ये दवा

एफडीसी दवा

भारत के औषधि महानियंत्रक राजीव रघुवंशी ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दवा नियामकों से क्लोरफेनिरामाइन मैलेट आईपी 2एमजी + फेनिलफ्राइन एचसीएल आईपी 5एमजी ड्रॉप/एमएल के फिक्स्ड ड्रग कॉम्बिनेशन के निर्माताओं को निर्देश दिए हैं।

निर्देश में इन दवाओं के लेबल और पैकिंग में यह चेतावनी का इस्तेमाल करने को कहा। आमजन को भी चेताया गया है कि चार साल से कम उम्र के बच्चे को सर्दी लगने, गले में जलन या जुकाम के इलाज में यह दवाइयां नहीं देनी हैं। यह आपके बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

विषय विशेषज्ञ समिति की बैठक में हुई चर्चा

डीसीजीआई ने पत्र में कहा कि एफडीसी को प्रोफेसर कोकाटे समिति द्वारा तर्कसंगत घोषित किया गया था। इसकी सिफारिश के आधार पर 18 माह के लिए 17 जुलाई, 2015 को एफडीसी के निरंतर विनिर्माण और विपणन के लिए एनओसी जारी किया था। इसके बाद शिशुओं के लिए अस्वीकृत सर्दी-रोधी दवा फॉर्मूलेशन को बढ़ावा देने के संबंध में चिंता जता दी गई है। इस मामले पर छह जून को आयोजित विषय विशेषज्ञ समिति की बैठक में चर्चा की गई थी।