केरल। डिस्काउंट दवा की रेट लिस्ट मेडिकल स्टोर पर लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। ये निर्देश केरल औषधि नियंत्रण प्रशासन (डीसीए) ने हाईकोर्ट के आदेश पर सभी डिस्काउंट फार्मेसियों को दिए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि जो फार्मेसी दवा की कीमतों पर 10 से 80 प्रतिशत की छूट देती हैं, उन दवाओं की मूल्य सूची दो सप्ताह के भीतर मेडिकल दुकानों में प्रदर्शित की जानी चाहिए।
राज्य औषधि नियंत्रक (एसडीसी) द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि उच्च् न्यायालय का मानना है कि चूंकि जनता दवाओं की उपभोक्ता है, इसलिए यह जानना उनका अधिकार है कि कौन से उत्पाद छूट पर उपलब्ध हैं और उनकी छूट दरें क्या हैं। इस संबंध में एसडीसी कार्यालय ने एडीसी कार्यालयों के माध्यम से सभी दवा दुकानों और चेन फार्मेसियों को एक परिपत्र जारी किया है।
यह है मामला
उच्च न्यायालय दवाइयों के खुदरा और थोक व्यापार में लगे केमिस्ट और ड्रगिस्ट के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था। उन्हें विभिन्न उपभोक्ता संगठनों और ऑल केरल केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन का समर्थन प्राप्त था। याचिकाकर्ताओं की मुख्य शिकायत यह थी कि राज्य सरकार और जिम्मेदार एजेंसी, औषधि नियंत्रण विभाग, दवाओं पर भारी छूट देने वाली चेन मेडिकल दुकानों के एक समूह द्वारा बैनर और फ्लेक्स बोर्ड प्रदर्शित करने के खिलाफ कार्रवाई करने में निष्क्रिय हैं।
चेन फ़ार्मेसियों की यह कार्रवाई फ़ार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 में निर्धारित शर्तों का उल्लंघन है, जो अनैतिक है। न्यायालय को सूचित किया गया कि औषधि नियंत्रण विभाग और राज्य फ़ार्मेसी परिषद दोनों इस उल्लंघन के खिलाफ़ कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन दोनों ही निष्क्रिय हैं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि छूट देने वाली फ़ार्मेसियों द्वारा दावा किए गए कुछ लोकप्रिय ब्रांडों की कीमतों को कम करना संभव नहीं है और यह छूट देने वाली फ़ार्मेसियों के अलावा अन्य सभी फ़ार्मेसियों के व्यवसाय को प्रभावित करता है।
चेन समूहों की इस कथित अनैतिक प्रथाओं के कारण केरल में केमिस्ट समुदाय अपना व्यवसाय नैतिक रूप से नहीं कर सकता और यह लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। याचिकाकर्ताओं ने चेन फ़ार्मेसियों में छूट पर उपलब्ध दवाओं की गुणवत्ता के बारे में भी अपनी चिंता जताई। दरअसल, उनका दावा है कि फार्मा व्यवसाय में एमआरपी पर कमी संभव नहीं है।