फरीदाबाद (हरियाणा)। शहर में स्थित एक मेडिकल स्टोर के अंदर चलाए जा रहे अवैध क्लीनिक पर रेड किए जाने का समाचार हैै। यह कार्रवाई में सीएम फ्लाइंग और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से की। क्लीनिक संचालक की उिग्री की जांच की गई। पता चला कि वह पिछले 15 सालों से फार्मासिस्ट की डिग्री पर ही क्लीनिक चला रहा था। मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे इस झोलाछाप डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया।
फार्मासिस्ट के नाम पर चला रहा था क्लीनिक
जानकारी अनुसार मुख्यमंत्री उडऩदस्ता और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने फरीदाबाद के चांदहट थाना क्षेत्र स्थित गांव बागपुर में एक दवा दुकान पर छापा मारा। दुकान में चलाए जा रहे अवैध क्लीनिक पर टीम ने जांच की। टीम ने मौके से झोलाछाप एक डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के पास न तो क्लीनिक चलाने के लिए लाइसेंस था और न ही कोई डिग्री। आरोपी साल 2018-19 में लिए फार्मासिस्ट डिप्लोमा सर्टिफकेट के आधार पर प्रैक्टिस कर रहा था। पुलिस मामले की जांच करने में जुटी है।
सूचना मिलने पर की थी रेड
सीएम फ्लाइंग के डीएसपी मनीष सहगल ने बताया कि उन्हें गांव बागपुर में झोलाछाप डॉक्टर द्वारा अवैध तरीके से क्लीनिक चलाने की सूचना मिली थी। बिना डिग्री के आरोपी लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा था। सूचना के आधार पर उन्होंने छापेमारी के लिए टीम गठित की।
ये रहे टीम में शामिल
छापामार कार्रवाई के लिए टीम में सीएम फ्लाइंग के सब-इंस्पेक्टर सतबीर सिंह व हेड कांस्टेबल प्रभुदयाल व राजीव, जिला औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारी संदीप गहलान, मेडिकल ऑफिसर डॉ. प्रदीप कुमार व स्थानीय पुलिस शामिल रही। इसके बाद संयुक्त टीम द्वारा छापेमारी की गई।
क्लीनिक चलाने संबंधित दस्तावेज नहीं मिला
टीम को रेड के दौरान मौके पर निरंजन सिंह नाम का व्यक्ति मिला। उसने खुद को क्लीनिक का संचालक बताया। वह क्लीनिक चलाने संबंधित दस्तावेज नहीं दिखा सका। उसने बताया कि उसके पास फार्मासिस्ट का डिप्लोमा है। क्लीनिक चलाने और डॉक्टर संबंधित उसके पास कोई डिग्री नहीं है।
वह दवाई की दुकान खोलकर उसमें ही एक बेड लगाकर मरीजों का इलाज करता है। क्लीनिक के लिए उसने किसी डिग्री प्राप्त डॉक्टर से अनुबंध नहीं किया है। ऐसे में पुलिस उसे काबू कर लिया और पूछताछ की जा रही है।
सीएम फ्लाइंग ने बताया कि 45 वर्षीय आरोपी डॉक्टर निरंजन करीब 15 सालों से प्रैक्टिस कर रहा था। पूछताछ में उसने बताया कि किशोरावस्था के समय से ही एक आरएमपी के पास काम करता था। आरएमपी से उसने मरीजों के इलाज करने की बारीकी सीखी और दवाइयों के नाम का ज्ञान हुआ।
नशीली दवाइयां भी मिली
डीएसपी मनीष सहगल के अनुसार झोलाछाप डॉक्टर को काबू कर उसके क्लीनिक की जांच की गई। इस दौरान दुकान और क्लीनिक से 72 तरीके की दवा और इलाज करने वाले उपकरण मिले। क्लीनिक में सात तरह की नशीली दवाएं भी बरामद हुईं। इन दवाओं को आरोपी नशा करने वाले युवकों को सप्लाई करता था। टीम सभी दवाई को जब्त कर जांच शुरू कर दी है।
आरोपी डॉक्टर के खिलाफ चांदहट थाना में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें उसे तीन से 10 साल की सजा मिल सकती है। अधिकारियों ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टर रोजाना 15 से 20 मरीजों का इलाज करता था। इसके एवज में प्रति मरीज 300 रुपये का फीस भी लेता था। साथ ही अपनी दवाई दुकान से ऊंचे दर में दवाई देता था। आरोपी एक पर्ची पर दवाई लिखकर उसका डोज भी लिखता था। आरोपी गर्भवतियों का उपचार करता था।
ये है क्लीनिक खोलने के नियम
क्लीनिक खोलने वाले व्यक्ति के पास डॉक्टर या बैचलर इन फार्मसी (बीफार्मा) की डिग्री होनी चाहिए। डिप्लोमा इन फार्मसी का रजिस्ट्रेशन पीसीसीआई में करवाना जरूरी है। किसी क्लीनिक पर किसी योग्यता प्राप्त डॉक्टर को बैठाने का प्रावधान है। क्लीनिक संचालक उस डॉक्टर का सहयोग कर सकेंगे।
पलवल में में भी अस्पताल का किया था भंडाफोड़
बता दें कि इसी साल मार्च में भी सीएम फ्लाइंग की टीम ने पलवल में एक आठ बेड के अस्पताल का भंडाफोड़ किया था। होडल बस स्टेंड के पास झोलाछाप डॉक्टर अपने अस्पताल में विभिन्न बीमारियों का इलाज करता था। अस्पताल के लिए कोई लाइसेंस भी नहीं लिया गया था।