मेडिसिन बनाने के लिए हर साल मारे जा रहे लाखों गधे

लंदन। मेडिसिन के निर्माण के लिए हर साल लाखों गधे मार दिए जाते हैं। जी हां, यह सच है। गधों की खाल के लिए इन्हें मारा जाता है। चीन में गधे की खाल में मौजूद जिलेटिन से बने पारंपरिक औषधीय इलाज की काफी डिमांड है। इसे एजियाओ कहा जाता है। ब्रिटेन स्थित डंकी सेंचुरी की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर इस खाल की सप्लाई के लिए हर साल कम से कम 60 लाख गधों को मार दिया जाता है।

चीन में घटी गधों की संख्या

बताया गया है कि गधे की खाल में स्वास्थ्यवर्धक और एंटी-एजिंग गुण होते हैं। इस व्यापार के विरोधियों का कहना है कि ऐसे लोग जो गधे जैसे जानवर पर निर्भर हैं, एजियाओ के पारंपरिक घटक की अस्थिर मांग के शिकार हो रहे हैं। चीन में गधों की संख्या में तीन दशकों के दौरान भारी कमी आई है। खाल के व्यापारी देश-विदेशों में इन जानवरों और उन पर निर्भर समुदायों को निशाना बना रहे हैं।

पाकिस्तान में व्यापार जारी

गौरतलब है कि तंजानिया और आइवरी कोस्ट सहित देशों ने 2022 में गधों को मारने और खाल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन पाकिस्तान अभी भी यह व्यापार कर रहा है। पिछले साल के अंत में यहां देश के पहले आधिकारिक प्रजनन फार्म में कुछ सर्वोत्तम नस्लों को पालने की बात कही गई।

चीन में एजियाओ बाजार का मूल्य 2013 में लगभग 3.2 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 में 7.8 अरब डॉलर हो गया। यह स्थिति सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों, पशु कल्याण प्रचारकों और अंतरराष्ट्रीय अपराध जांचकर्ताओं के लिए चिंता का विषय है।

गधे जल्दी प्रजनन नहीं करते

गधों को मारने के तरीके अक्सर अनियमित, अमानवीय और अस्वास्थ्यकर होते हैं। ये बड़ी संख्या में बूचड़खानों के रास्ते में ही मर जाते हैं। गधे मजबूत, अनुकूलनीय जानवर हैं लेकिन ये जल्दी प्रजनन नहीं करते। ऐसे में प्रचारकों को डर है कि यदि स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो गधों की संख्या घटती रहेगी।