मुंबई। केंद्र सरकार दवा कंपनियों को अपने पैकेजिंग में बदलाव करने को कह सकती है ताकि ग्राहकों को संशोधित कीमतों का तत्काल लाभ मिल सके। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण ने दवाओं की अधिकतम कीमत तय तो कर दी है लेकिन ग्राहकों को संशोधित कीमत का लाभ तभी मिल पाता है जब कंपनियों की नई खेप खुदरा विक्रेताओं के पास पहुंचती है। दुकानदारों के पास मौजूद माल की बिक्री पुरानी कीमत पर ही की जाती है और सरकार की ओर से इसकी निगरानी सही तरीके से संभव नहीं हो पाती है। ग्राहकों को राहत देने के मकसद से सरकार अब दवाओं के पैक पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य करने की योजना बना रही है। सरकार चाहती है कि कीमतों में कटौती का लाभ ग्राहकों को तत्काल पहुंचाया जाए। कीमतों को क्यूआर कोड में शामिल करने पर बाजार में मौजूदा बैच पर भी यह लागू हो जाएगा और इसकी निगरानी रखना भी संभव होगा। क्यूआर कोड में डेटा स्टोर रहता है और इसका उपयोग उत्पादों की पहचान, निगरानी और बिक्री के मकसद से किया जा सकता है। निर्दिष्टï क्यूआर कोड में संबंधित जानकारियां सर्वर में स्टोर रहती हैं और केंद्रीय सर्वर में किसी तभी तरह का बदलाव क्यूआर कोड में दिखता है। जब कोई क्यूआर कोड को स्कैन करता है तो उसे रीयल टाइम जानकारी प्राप्त होती है। प्रत्येक उत्पाद का अलग क्यूआर कोड होगा।
उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अभी इस बारे में केवल चर्चा की गई है और फिलहाल इस संदर्भ में निर्णय नहीं लिया गया है। यह भी स्पष्टï नहीं है कि कंपनियों को अपने सर्वर में डेटा रखना होगा या कोई साझा केंद्रीय सर्वर होगा। उद्योग से जुड़े लोगों को लगता है कि सरकार कंपनियों को खुद अपने सर्वर पर डेटा रखने को कह सकती है। फार्मास्युटिकल उत्पादकों के संगठन के अध्यक्ष ए वैदीश ने कहा कि यह अच्छा विचार है लेकिन इसका क्रियान्वयन का मूल्यांकन सावधानी से करना होगा। दवा कंपनियां अपने इस्तेमाल के लिए पैकेजिंग पर क्यूआर कोड का इस्तेमाल करती हैं। उदाहरण के लिए जीएसके फार्मास्युटिकल्स पैकेटों पर क्यूआर कोड लगाती हैं। इसमें उत्पाद का विवरण, संकेत और प्रतिकूल प्रभाव का उल्लेख किया जाता है। हालांकि कुछ का कहना है कि इसे लागू करना आसान नहीं होगा। उनके मुताबिक बड़ी कंपनियां सुगमता से ऐसा कर सकती हैं और सर्वर पर निवेश कर सकती हैं लेकिन छोटी दवा कंपनियों के लिए यह महंगा सौदा होगा। इस योजना में देशभर के आठ लाख से अधिक खुदरा दवा विक्रेताओं के सहयोग की भी जरूरत होगी।