पटना। अब लाइसेंसशुदा प्राइवेट ब्लड बैंक भी रक्तदान शिविर लगा सकेंगे। इसके लिए उन्हें स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल से अनुमति लेनी होगी। इतना ही नहीं, दूसरे ब्लड बैंक को खून या कंपोनेंट ट्रांसफर करने की भी इजाजत दे दी गई है। इसके लिए ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट में संशोधन किया गया है। खून की कहीं कोई कमी न हो, इसके लिए यह कवायद की गई है। इससे पहले सिर्फ सरकारी ब्लड बैंक और इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी ब्लड बैंक को ही स्वेच्छा रक्तदान शिविर लगाने की अनुमति थी। देखा जाता है कि किसी ब्लड बैंक में ज्यादा डोनेशन होता है और किसी में कम। इसलिए जिस ब्लड बैंक में खून कम हो, वहां ट्रांसफर किया जा सकता है। आपदा में दूसरे राज्य के ब्लड बैंक को भी खून ट्रांसफर किया जा सकता है। पीएमसीएच के क्लिनिकल पैथोलॉजिस्ट डॉ. देवेंद्र प्रसाद ने बताया कि कोलकाता में हेमो विजिलेंस पर आयोजित कार्यशाला में यह बात सामने आई है।
कार्यशाला में बताया गया कि पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में स्वेच्छा से रक्तदान बिहार के मुकाबले बहुत ज्यादा है। इसलिए बिहार में स्वेच्छा से रक्तदान को बढ़ाने पर जोर देना जरूरी है। थैलेसिमिया, हीमोफीलिया और एचआईवी संक्रमित बगैर डोनर और बगैर किसी शुल्क के खून उपलब्ध कराना है। स्वेच्छा से रक्तदान को हर हाल में बढ़ावा देना है। प्रोफेशनल डोनर के खून पर भी कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया है। डॉ. देवेंद्र ने बताया स्वेच्छा से रक्तदान करने पर रक्तदाता को प्रमाण पत्र और डोनर कार्ड दिया जाता है। उस डोनर कार्ड से डोनर अपने परिवार में जरूरत होने एक साल के अंदर खून ले सकता है। पर देखा जा रहा है कि उस डोनर कार्ड का गलत इस्तेमाल होने लगा है। डोनर कार्ड को पैसा लेकर दूसरे को बेचने की शिकायत मिल रही है। ऑन कॉल डोनेशन कितना कारगर है उस पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा खून चढ़ाने पर मरीज को कोई साइड इफेक्ट होता है तो उसे कैसे मैनेज किया जाए या फिर डोनर को रक्तदान करने के बाद कोई साइड इफेक्ट होता है तो उसे कैसे मैनेज किया जाए, इस पर भी विशेषज्ञों ने विस्तार से चर्चा की।