नई दिल्ली। अब दवाई का असर न होने पर भी त्वचा का कैंसर लाइलाज नहीं रहेगा। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे अणु की पहचान की है जिसका प्रयोग त्वचा कैंसर के विरूद्ध लडऩे की क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। ये एक ऐसा अणु है जो कैंसर के टीके में इस्तेमाल किया जा सकता है। डाइप्रोवोसिम नामक इस अणु को फिलहाल दिए जा रहे टीके में मिलाने पर कारगर परिणाम देखने को मिले हैं।
जैसे ही यह अणु टीके के जरिए शरीर में जाता है, वैसे ही इस बात कि संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं कि कैंसर के खिलाफ लडऩे वाली कोशिकाएं उस जगह पर पहुंच सके, जहां उनको ट्यूमर से लडऩा है। इस तरह से रोगी की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि मेलानोमा से पीडि़त चूहे पर प्रयोग से पता चला कि इस उपचार से उन मामलों में मरीज के स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाती है, जहां केवल दवा देने से काम नहीं चलता है। मेलानोमा एक प्रकार का त्वचा कैंसर है जो मेलानोसाइट्स नामक वर्णक उत्पादक कोशिकाओं के उत्परिवर्तित एवं कैंसरकारी होने पर पैदा होता है। अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डेल बोगर ने कहा कि यह सह उपचार मेलानोमा के इलाज में पूरी तरह असरकारी रहा। अगर ट्यूमर कोशिकाएं फिर से उभरने की कोशिश करती हैं तो यह टीका प्रतिरोधक तंत्र को उनसे लडऩे में भी प्रेरित करता है। इस तरह यह कैंसर को फिर से हमला करने से रोकता है।