हिसार: हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली पेरासिटामोल सस्पेंशन सीरप का सैंपल चंडीगढ़ की राजकीय लैब में फेल हो गया। रिपोर्ट मेंदवा के गुणवत्ताविहीन होने का कारण निर्माण के दौरान लापरवाही बताया गया है। छोटे बच्चों को बुखार होने पर यह सीरप पिलाया जाता है। ड्रग विभाग ने सीरप निर्माता क्वालिटी फार्मास्यूटिकल कंपनी का रिकॉर्ड जब्त कर लिया। दूसरी ओर, कंपनी मालिक रमेश अरोड़ा ने सीरप सैंपल की पुन: जांच की अर्जी लगाई तो सैंपल को कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग्स लैब भेजा जाएगा। हिसार के ड्रग कंट्रोल ऑफिसर डॉ. सुरेश चौधरी ने कहा कि अमृतसर जाकर फार्मास्यूटिकल कंपनी का रिकॉर्ड जब्त किया गया है। कोलकाता लैब की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई तय होगी। सैंपल फेल होने की सूरत में कंपनी के खिलाफ ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के साथ-साथ अन्य कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है।
गौरतलब है कि हरियाणा मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएमएससीएल) के जरिए राज्य में दवा की सरकारी खरीद होती है। पिछले साल एचएमएससीएल ने क्वालिटी फार्मास्यूटिकल कंपनी से पेरासिटामोल सस्पेंशन सीरप खरीदा था। एक लाख से ज्यादा सीरप अस्पतालों में सप्लाई हो चुके हैं। अकेले हिसार में 19,800 सीरप आए थे। नवंबर 2016 से दिसंबर 2016 में हिसार, रेवाड़ी, अंबाला, नारनौंद, सिरसा, गुरुग्राम और फरीदाबाद से सीरप के अंदर कांच जैसे टुकड़े होने की शिकायत सामने आई। मामले की गंभीरता के मद्देनजर ड्रग विभाग ने संज्ञान लिया और दवा की सप्लाई और वितरण पर रोक लगा दी।
चंडीगढ़ लैब में सैंपल फेल होने के बाद स्टेट ड्रग कंट्रोलर नरेंद्र आहुजा के निर्देश पर हिसार से ड्रग कंट्रोलर डॉ. सुरेश चौधरी, सिरसा से संदीप, फरीदाबाद से राकेश छोकर, रेवाड़ी से हेमंत ग्रोवर की टीम को अमृतसर स्थित दवा निर्माता कंपनी का रिकॉर्ड जब्त करने भेजा गया। हरियाणा की टीम ने अमृतसर के स्थानीय औषधि निरीक्षक सुखदीप को साथ लेकरक्वालिटी फार्मास्यूटिकल कंपनी का निरीक्षण किया। यहां से हरियाणा में सप्लाई हुए सीरप के बैच नंबर संबंधित सप्लाई का रिकॉर्ड जब्त किया। सीरप बनाने वाले विशेषज्ञों से लेकर निर्माण में प्रयोग होने वाले कंटेंट की पूरी जानकारी कलमबद्ध की गई है।
डॉक्टरों के मुताबिक, छोटे बच्चे टेबलेट नहीं खा पाते इसलिए पेरासिटामोल सीरप दिया जाता है। सेवन से पूर्व सीरप को हिलाया जाता है ताकि दवा में मौजूद कंटेंट मिल जाए। इसके बाद रोगी बच्चे को दवा पिलाई जाती है। पता चला है कि उक्तकंपनी के सीरप को हिलाने के बावजूद कंटेंट मिक्स नहीं होते। दवा में कांच जैसे क्रिस्टल टुकड़े दिखने पर अभिभावक बच्चों को सीरप पिलाने से परहेज कर रहे थे।