रांची (झारखंड)। राज्य में परचून व पान दुकानों पर आयुर्वेदिक दवा के नाम से प्रतिबंधित नशे की पुडिय़ा बेची जा रही हैं। आनंद, मुनक्का और रॉकेट जैसे नामों से बिक रही इन पुडिय़ा को खरीदने वालों में बच्चों व किशोरों की संख्या ज्यादा है। बता दें कि नशे की इस पुडिय़ा पर बकायदा ‘आयुर्वेदिक औषधि’ लिखा होता है। इसका उपयोग चिकित्सक के परामर्श पर करने की सलाह भी दी गई है। पुडिय़ा के रैपर पर शिड्यूल श्व (1) ड्रग बताया गया है। यह प्रतिबंधित दवा की श्रेणी में आती है। इसे पान की दुकान पर बेचना गैरकानूनी है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि पुडिय़ा पर उत्पादक का नाम और उत्पादन के स्थान की जानकारी भी अंकित नहीं है।
बताया गया है कि यह नशीला पदार्थ पटना, मध्यप्रदेश और झारखंड से यहां पहुंचता है। इस नशे का सेवन कर किशोर व युवा मानसिक विकृति के शिकार हो रहे हैं। चिकित्सकों का मानना है कि इससे बौद्धिक क्षमता खत्म हो जाती है। मनोचिकित्सक डॉ. सुयेश सिन्हा ने बताया कि इस तरह के प्रतिबंधित नशे की पुडिय़ा के उपयोग से पागलपन का दौरा पड़ सकता है। इसे ए मोटिवेशनल सिंड्रोम कहते हैं। इस स्थिति में उस व्यक्ति का व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है और वह मारपीट की प्रवृत्ति वाला हो जाता है। इससे उसके पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर दुष्प्रभाव पडऩे लगता है। उन्होंने कहा कि उनके पास ओपीडी में हर दिन इस तरह के तीन-चार नये मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। इस संबंध में संयुक्त निदेशक, औषधि डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि शिड्यूल श्व (1) ड्रग लिखी पुडिय़ा को किसी भी सूरत में पान-ठेलों पर नहीं बेचा जा सकता है। यह जहर है, जिसका उपयोग नशे के रूप में किया जा रहा है। कुछ शिकायतें मिली हैं। जांच कराकर दोषी पर कार्रवाई की जाएगी।