भदोही। अगर आप संक्रमण से पीडि़त हैं और डॉक्टर ने वीसेफ-ओ टैबलेट खाने को कहा है तो सावधान रहें। यह दवा खाने से आपकी सेहत ठीक होने के बजाए और ज्यादा खराब हो सकती है। जानकारी अनुसार औषधि प्रशासन ने सप्ताह भर पहले भदोही शहर के एक मेडिकल स्टोर से वीसेफ-ओ टैबलेट के सैंपल लिए थे। लखनऊ स्थित राजकीय दवा विश्लेषक संस्था से अब उसकी जांच रिपोर्ट आ गई है। यह दवा सेफीक्सीम और ओफ्लोक्सासिन रासायनिक तत्व से मिलकर बनी है। लेकिन जांच में ये फार्मूला 100 प्रतिशत गायब है। यह टैबलेट केवल आटा और पाउडर के घोल से तैयार की गई है। दवा का रंग बदलने के लिए मिट्टी के तत्व भी जांच में पाए गए हैं, जो अधिकारियों को हैरत में डाल रही है। विभाग ने जब कंपनी का पता लगाना शुरू किया तो वह दवा की पैकिंग में दिए हुए पते पर मौजूद ही नहीं है। इसी तरह कंपनी ने ए-सिपेक्स-ओ टैबलेट में भी एंटीबायोटिक के नाम पर झोल किया है। इस दवा में भी आटा-पाउडर के घोल मिले हैं। यह भी नकली है। सिर्फ यही दवा नहीं बल्कि ऐसी करीब 13 दवाओं पर जांच चल रही है, इनकी रिपोर्ट भी आने लगी है। अब विभाग कंपनी और दवा विक्रेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की प्रक्रिया में है। मेडिकल स्टोर संचालक के लाइसेंस भी निरस्त करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। औषधि प्रशासन के ड्रग निरीक्षक अमित कुमार बंसल ने बताया कि इस दवा की बिक्री पेटेंट दवाओं की आड़ में हो रही है। केवल टैबलेट के रूप में बनाकर दवाइयां पैकिंग कर बाजार में फर्जी कंपनियां उतार दी हैं। ऐसी दवाओं से सेहत ठीक नहीं हो रही है। गरीब ही नहीं, हर तरह के मरीज ठगे जा रहे हैं। मेडिकल स्टोर से नकली दवा पकड़ी गई थी। उसने जिस ड्रग एजेंसी से दवा खरीदी थी, उसे फर्जी बिल पकड़ा दिया गया। हालांकि एजेंसी पर भी अब कार्रवाई चल रही है, लेकिन मामले में फाइल बंद करने का दबाव भी बढ़ रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि नकली दवाओं के कारोबार पर रोकथाम के लिए छापेमारी की जा रही है। जिले में आधा दर्जन दुकानों पर छापेमारी के दौरान नकली दवाओं की पुष्टि हो गई है।