नई दिल्ली। तुलनात्मक रूप से सस्ती, सांस के जरिए खींची जानेवाली अस्थमा की दवा घर में कोविड-19 से जूझ रहे बुजुर्गों को 3 दिन जल्द ठीक करने में मदद कर सकती है। विभिन्न बीमारियों के शिकार 50 साल से ज्यादा और 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर बुडेसोनाइड का मानव परीक्षण किया गया। ब्रिटेन में चले परीक्षण के दौरान पाया गया कि दवा को दो हफ्ते तक एक दिन में दो बार देने पर बीमारी से रिकवर होने का अंतराल कम हो गया। प्रतिभागियों को स्वस्थ रहने में मदद मिली और उन्होंने बेहतर महसूस किया।

शोधकर्ताओं का कहना है कि परीक्षण के अंतरिम नतीजे दुनिया भर में क्लीनिकल अभ्यास को बदल सकती है। बहुत सारे देश के अस्पतालों में कम बेड कोविड-19 मरीजों के लिए उपलब्ध है, जिसने घर पर बहुत हद तक लोगों के इलाज को महत्वपूर्ण बना दिया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मानव परीक्षण में प्रतिभागियों को दवा के इस्तेमाल से बहुत कम अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रभाव स्पष्ट नहीं है। रिसर्च से सबूत मिला है कि तुलनात्मक रूप से सस्ती, आसानी से उपलब्ध दवा का बहुत कम साइड-इफेक्ट्स है। ये कोविड-19 से खराब नतीजों के जोखिम वाले लोगों की मदद कर सकती है।

मरीजों को बुडेसोनाइड 14 दिनों तक एक दिन में दो बार 800 माइक्रोग्राम सांस से खींचने को कहा गया और फिर उनकी स्थिति की निगरानी 28 दिनों तक की गई। अंतरिम विश्लेषण में पाया गया कि मरीज अन्य के मुकाबले 3 दिन पहले बीमारी से रिकवर होने लगे और 32 फीसद दवा को लेनेवाले 14 दिन के अंदर ठीक हो गए, जबकि उनकी स्थिति अगले 28 दिनों तक बेहतर रही। शोधकर्ताओं ने बताया कि पहली बार प्रभावी इलाज का उच्च गुणवत्ता सबूत पाया गया है और उन लोगों के लिए परिचित कराया जा सकता है जिनको कोविड-19 का गंभीर खतरा ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि अन्य इलाज के मुकाबले घर में इलाज का बुडेसोनाइड प्रभावी जरिया है और उसका इस्तेमाल बीमारी के शुरुआती चरणों में किया जा सकता है। इस महामारी के लिए ये महत्वपूर्ण मील का पत्थर और समुदाय आधारित रिसर्च के लिए बड़ी कामयाबी है। मानव परीक्षण के नतीजे अभी किसी वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुए हैं बल्कि ऑनलाइन जारी किए गए हैं। अंतरिम नतीजे उस परीक्षण का हिस्सा हैं जिसका मकसद ऐसे इलाज के तरीके की तलाश है जिसको अस्पताल से बाहर मौजूद लोगों के लिए इस्तेमाल किया जा सके।