वाराणसी। शहर के कई प्राइवेट अस्पतालों ने अपने यहां खुद का मेडिकल स्टोर खोल रखा है। जांच केन्द्र भी इनके अपने ही हैं। इन अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को इन जांच केन्द्र से टेस्ट कराने और मेडिकल स्टोर से दवाएं लेने के लिए मजबूर किया जाता है। अस्पताल के डॉक्टर भी ऐसी ही दवाएं लिखते हैं जो सिर्फ इन स्टोर पर ही मिलती हैं। इनका मनमाना दाम वसूला जाता है। यह सब दवा बनाने वाली कम्पनियों की मिलीभगत से होता है। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। शासन ने इस तरह मरीजों का शोषण करने वाले प्राइवेट हॉस्पिटल व क्लिनिक पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है।
हॉस्पिटल से सेटिंग कर तय मेडिकल स्टोर्स पर ही दवाएं सप्लाई करने वाले मैनुफैक्चरर्स पर ड्रग विभाग सीधे कार्रवाई करेगा। इस व्यवस्था को लेकर औषधि अनुसंधान एवं नियंत्रण प्रधिकारी की ओर से दिशा निर्देश जारी कर दिया गया है। जल्द ही ड्रग विभाग ऐसे मैनुफैक्चरर्स पर कार्रवाई करना शुरू करेगा।
ड्रग डिपार्टमेंट को हर महीने प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिग होम व क्लिनिकों की जांच करनी होगी। जांच के दौरान यदि किसी कंपनी या डीलर की ओर से तय मेडिकल स्टोर्स पर दवा की सप्लाई मिलती है तो, उसके खिलाफ ड्रग प्राइस कंट्रोल आर्डर 2013 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं, ड्रग विभाग की ओर से हर महीने होने वाली इस तरह की कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट शासन को भेजनी होगी, जिससे शासन स्तर पर ऐसे लोगों के खिलाफ मसौदा तय किया जा सकें।
सिटी के ड्रगिस्ट व केमिस्ट एसोसिएशन के मुताबिक प्राइवेट अस्पतालों में खुद का मेडिकल स्टोर खोलने की वजह से दवा का रिटेल व होलसेल बाजार 50 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है। मैनुफैक्चरर्स व खुद की मोनोपोली की दवाओं का बड़े खेल की वजह से प्राइवेट हास्पिटल में संबंधित रोग की दवाएं हॉस्पिटल में ही मिलती है। यही नहीं, क्लिनिक में भी जिस बीमारी का स्पेशलिस्ट डॉक्टर होगा, उसके परिसर में बने स्टोर में ही दवा मिलेगी। आप तमाम स्टोर पर पर्ची लेकर चले जाए, दवा नहीं मिलने वाली। इसके चलते अन्य दवा करोबारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर सोसायटी के सचिव संदीप ने कहा कि शहर के कई प्राइवेट हॉस्पिटल ने अपने कैंपस में ही मेडिकल स्टोर्स खोल रखा है. वहां के डॉक्टर्स की लिखी दवाएं सिवाए वहां के कहीं और सप्लाई न होने से दवा कारोबारियों को भारी क्षति हो रही है। नई व्यवस्था से जरूर फायदा होगा।
ड्रग इंस्पेक्टर सौरभ दूबे का कहना है कि प्राइवेट हॉस्पिटल में खुले मेडिकल स्टोर्स की दवाएं मार्केट से गायब कराकर सिर्फ अपने ही स्टोर में रखना नियम के खिलाफ है। इस पर शासन की ओर से निर्देश मिल चुका है। जल्द ही उन मैनुफैक्चरर्स की जांच की जाएगी, जो मोनोपोली के तहत दवा की सप्लाई कर रहे है।