इंदौर। अस्पताल में इलाज के लिए पूरे देश में एक शुल्क तय करने के निर्देश दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्देश में केंद्र सरकार को अगले छह सप्ताह के अंदर मरीजों द्वारा भुगतान किए जाने वाले अस्पताल उपचार शुल्क को शीघ्रता से तय करने को कहा है। बताया गया है कि वर्तमान में अलग-अलग अस्पताल इलाज के लिए अलग-अलग दरें वसूलते हैं, जिससे देश में कैशलेस स्वास्थ्य बीमा प्रणाली को लागू करना मुश्किल हो जाता है।
एनजीओ की जनहित याचिका पर लिया संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने एक एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई की। आदेश में कहा गया है कि हम भारत संघ के स्वास्थ्य विभाग के सचिव को निर्देश देते हैं कि वे राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपने समकक्षों के साथ बैठक करें। सुनवाई की अगली तारीख (अगले छह सप्ताह में) तक एक ठोस प्रस्ताव लेकर आएं।
सन 2010 में बनाए गए थे नियम
सरकारी वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि क्लिनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 में बनाए गए नियमों को 12 राज्य सरकारों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनाया गया है। 2012 के नियमों के नियम 9 के प्रावधानों के मद्देनजर दरें तय की गई हैं। केंद्र सरकार द्वारा तब तक निर्धारित नहीं किया जा सकता, जब तक कि राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों से कोई प्रतिक्रिया न हो।
राज्यों से नहीं मिला पत्र का जवाब
बताया गया कि राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को विभिन्न पत्र भेजे गए हैं, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई और इसलिए दरों को अधिसूचित नहीं किया जा सका। पीठ ने कहा कि भारत संघ केवल यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता कि राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजा गया है और वे जवाब नहीं दे रहे हैं।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने मौजूदा प्रारूप पेश किया
हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया ने अस्पतालों को कैशलेस एवरीव्हेयर पहल को स्वीकार करने के प्रति आगाह किया है। इसे हाल ही में जनरल इंश्योरेंस काउंसिल द्वारा अपने मौजूदा प्रारूप में पेश किया गया है। जनरल इंश्योरेंस (जीआई) काउंसिल के अध्यक्ष तपन सिंघल ने कहा कि हमने हमेशा यह कहा है कि हमें ग्राहकों से उचित लागत वसूलने की जरूरत है।
चाहे वह पॉलिसी लेते समय हो या दावे के समय कुछ खर्च वहन करना हो। यह उत्साहजनक है कि शीर्ष अदालत ने केंद्र से मानक अस्पताल दरों पर निर्णय लेने का आग्रह किया है। हमारा मानना है कि हर जगह कैशलेस के साथ-साथ इससे अंतत: हमारे नागरिकों को लाभ होगा। इनके लिए अच्छी स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करना एक मौलिक अधिकार है।