रोहतक। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के इंटर्न की भूख हड़ताल लगातार तीसरे दिन भी जारी रही। सरकार इंटर्न की स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की सुनवाई नहीं कर रही है, जिससे उनमें लगातार आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
इंटर्न छात्रों ने कहा कि पीजीआई परिसर में चल रही उनकी हड़ताल को 7 दिन व अनशन को 3 दिन हो गए हैं। प्रशासन उनकी मांग पर मूकदर्शक बना हुआ है और केवल झूठे आश्वासन देने में जुटा है। स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग जब पीजीआई प्रशासन से की जाती है तो वे यह बात उनके क्षेत्राधिकार में न होने की कहकर सरकार पर ठीकरा फोड़ देते हैं। भूख हड़ताल पर बैठे इंटर्न छात्रों की प्रशासन की ओर से सुध न लिए जाने से एमबीबीएस, बीडीएस व इंटर्न छात्रों में रोष व्याप्त है और वह भी उनके समर्थन में खड़े नजर आते है।
7 दिन से चली आ रही हड़ताल में बीडीएस के विधार्थी भी शामिल हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से दिए गए आश्वासन की डोज़ का हड़ताली स्टूडेंट्स पर कोई असर नहीं हुआ। भावी डाक्टरों की मांग इंटर्नशिप का भत्ता 12000 रूपए से 18000 रूपए करने की है। उनका कहना है कि दिल्ली के कालेजों में 18 हजार दिया जा रहा है। यह मांग पहले भी कई बार की जा चुकी है।
पीजीआई के एमएस डा नित्यानन्द ने बताया कि प्रशासन ने छात्रों की मांग को लेकर राज्य सरकार को पत्र भेजा है। उम्मीद है भत्ता बढ जाएगा, लेकिन छात्रों को सरकार के फैसले का इंतजार करना चाहिए। कुलपति डॉ ओपी कालरा ने बताया कि वे राज्य सरकार को रिमाइंड करवा चुके हैं। अब यह कार्य सरकार का है। छात्रों को समझना चाहिए। वे खुद मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।
पंडित बीडी शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्ध मेडिकल कालेजों में हड़ताल पर बैठे एमबीबीएस इंटर्न छात्रों को राज्य सरकार ने हड़ताल समाप्त करने की सलाह दी है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह ने बताया कि छात्रों की मांग नाजायज है। वे सरकारी कर्मचारी नहीं हैं जो भत्ता बढाया जाए। सरकार उन पर करोड़ों रूपए खर्च कर रही है। डाक्टर बनने के बाद उनका यह भी नहीं पता कि वे प्रदेश के मरीजों की सेवा करेंगे भी या नहीं। उन्होंने कहा कि अटेंडेसं शार्ट होने की वजह से इंटर्न का समय एक्सटेंड किया जा सकता है। अगले सप्ताह स्टूडेंट्स के अभिभावकों को सूचना दी जाएगी। स्टूडेंट्स फिर भी नहीं माने तो उन्हे कालेज से रेस्टीगेट किया जाएगा। धनपत सिंह ने कहा कि बहुत से प्रदेशों में यह भत्ता 5000 रूपए है। केवल दो स्टेट में 17900 रूपए है। फिर भी राज्य सरकार छात्रों का स्टाइपेंड बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है। उन्होंने इंटर्न्स से अनुरोध किया कि वे हड़ताल समाप्त कर अपनी शिक्षा पर ध्यान दें।