पटना। पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज करा रहे मरीजों को आमतौर पर अस्पताल से नहीं बल्कि बाहर से दवाई खरीदनी पड़ती है मगर इसी परेशानी को लेकर अब संस्थान ने शनिवार को एक बड़ा फैसला लिया। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में शनिवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि संस्थान में अब मरीजों को संस्थान द्वारा संचालित “सेंट्रल ड्रग स्टोर” से ही दवा मुहैया कराई जाएगी और उन्हें अब बाहर से दवाई खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
डॉ. मंडल ने बताया कि इसके लिए मरीज के भर्ती होने के समय ही मेडिकल साइड के मरीज को ₹5000 की अग्रिम राशि और सर्जिकल साइट के मरीज को ₹10000 की अग्रिम राशि जमा करानी होगी और आगे जब जमा शुल्क में 10 फ़ीसदी बचा रहेगा तो फिर से उनको पैसा उसको जमा करना होगा ताकि सुचारू रूप से उन्हें दवाई मिलती रहे। संस्थान के द्वारा सेंट्रल ड्रग स्टोर बनाने का जो फैसला लिया गया है इस को ध्यान में रखते हुए अगले एक हफ्ते में संस्थान के नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान 15 अप्रैल से सेंट्रल ड्रग स्टोर की सेवा संस्थान में शुरू करेगा।
संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि संस्थान में जो भी मरीज आते हैं उन्हें आमतौर पर दवाई खरीदने के लिए इधर उधर दौड़ना पड़ता है और काफी सारे मरीजों को कम पढ़े लिखे होने के कारण बाहर की दुकानों से ज्यादा पैसे देकर दवाई खरीदनी पड़ती है। डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि कई बार तो मरीजों को पैसा देने के बावजूद भी बाहर की दुकानों में कम दवा दी जाती है।
डॉ. मंडल ने बताया कि मरीजों को होने वाली इन्हीं सब परेशानियों को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने फैसला लिया है कि अब संस्थान अपना “सेंट्रल ड्रग स्टोर” चलाएगा जिसकी जिम्मेदारी होगी कि उचित और सस्ते दामों पर सभी तरह की दवाई मरीजों को उपलब्ध कराना। संस्थान की बैठक में जो फैसला लिया गया है उसके मुताबिक पहले चरण में जिस वार्ड में मेडिकल और सर्जिकल विभाग के मरीज भर्ती होंगे उनको दवा उपलब्ध कराई जाएगी।