मुंबई। दवा कंपनी सन फार्मा पर अपनी सब्सिडियरी आदित्य मेडिसेल्स लिमिटेड के जरिए डॉक्टरों को गिफ्ट्स देकर फार्मा इंडस्ट्री की गाइडलाइंस का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। फार्मा ने डॉक्टरों को पर्सनलाइज्ड वेबसाइट बनाने और ऑनलाइन प्रमोशन करने में भी मदद दी है। उक्त आरोप लगाते हुए व्हिसलब्लोअर ने ईटी के पास डॉक्युमेंट्स उपलब्ध कराए है। बताया गया है कि सन फार्मा ने DOCNET नाम से एक प्रोग्राम चलाया था ताकि छह हजार से ज्यादा डॉक्टरों के लिए पर्सनलाइज्ड प्रोफेशनल वेबसाइट्स बनाई जा सकें। इन वेबसाइट्स को डिजाइन करने वाले वेंडरों ने इन्हें इंटरनेट पर होस्ट किया और मेंटेन किया। उन वेंडरों ने इन सेवाओं के लिए आदित्य मेडिसेल्स के नाम से बिल बनाए। इन डॉक्युमेंट्स में ‘योर पर्सनल वेबसाइट डिजाइन किट’ के नाम से एक साइन-अप फॉर्म है, जिसका उपयोग डॉक्टर अपनी वेबसाइट्स की स्पेसिफिकेशंस साझा करने में कर सकते थे। इस फॉर्म पर सन फार्मा और DOCNET के लोगो थे। सन फार्मा ने स्पीकहेल्थ के नाम से एक फेसबुक पेज भी बनाया था, जिस पर विभिन्न रोगों के इलाज के लिए डॉक्टरों को टिप्स देनी थीं।
सन ने हालांकि किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है। सन फार्मा के प्रवक्ता का कहना है कि हम इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन करते है कि सन फार्मा ने इंटरनेट पर डॉक्टरों का प्रमोशन करने या सोशल मीडिया साइट्स को पेमेंट करने के लिए आदित्य मेडिसेल्स लिमिटेड का उपयोग किया। कंपनी ने कहा कि स्पीकहेल्थ इनीशिएटिव कुछ साल पहले बीमारियों के प्रति जागरुकता बढ़ाने के कंपनी के एक बड़े मकसद को ध्यान में रखकर लान्च किया गया था। सन ने कहा कि फेसबुक, यूट्यूब और लिंक्डइन पर इस प्लेटफॉर्म के जरिए कंपनी 10 लाख से ज्यादा यूजर्स से जुड़ रही है।
अपनी वेबसाइट्स होने से डॉक्टरों की ऑनलाइन विजिबिलिटी सर्च इंजन रिजल्ट्स के जरिए बढ़ी। फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स से भी इससे मदद मिली। कुछ साइट्स ने मरीजों को अप्वाइंटमेंट बुक करने या सेहत से जुड़े सवाल करने का मौका भी दिया। ईटी से संपर्क करने वाले व्हिसलब्लोअर के अनुसार, सन फार्मा ने भी डॉक्टरों को ऑनलाइन मिलने वाले ट्रैफिक को ट्रैक किया। जिन डॉक्टरों की वेबसाइट्स को ज्यादा ट्रैफिक मिला, उनके नाम कंपनी के सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स को दिए गए ताकि कुछ ब्रांड्स को प्रमोट किया जा सके। ईटी ने कंपनी के कई मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स से बात की, जिन्होंने ऐसा होने की पुष्टि की। हर वेबसाइट बनाने का खर्च 8000-10000 रुपए तक था। इस पूरे प्रोसेस पर कुल 60 लाख रुपए खर्च किए गए। ईटी ने जो डॉक्युमेंट्स देखे हैं, उनमें आईटी कंपनी नेटमैजिक से एएमएल के नाम बनाए गए बिल शामिल हैं। यह आईटी कंपनी वेब होस्टिंग सर्विस देती है। बिलिंग ‘पब्लिक क्लाउड’ और ‘एमएस एंड सिक्योरिटी’ के लिए की गई। ईटी ने कंपनी के फोकस में रहे डॉक्टरों की लिस्ट भी देखी। इनमें से कुछ से ईटी ने संपर्क किया तो उन्होंने कन्फर्म किया कि उनकी वेबसाइट्स सन फार्मा ने बनाई थीं।