बालोद। कोरोना संक्रमण को मात देने के लिए वैक्सीन तो आ गई पर कोरोना मरीज को एक्सपायरी ड्रिप चढ़ाए जाने की अभी तक जांच रिपोर्ट नही आई है। डेढ़ माह से अधिक समय बीतने के बाद भी जांच अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। हालांकि मामले के लिए कलेक्टर की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी एसडीएम रामसिंग ठाकुर का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में जांच पूरी कर ली जाएगी और जांच प्रतिवेदन भी कलेक्टर को सौप दिया जाएगा। बता दे कि पिछले साल नवंबर महीनें पर जिला मुख्यालय के कोविड सेंटर में एक बड़ी लापरवाही सामने आई थी। जब कोरोना संक्रमित मरीज को एक्सपायर्ड ड्रिप लगा दी गई थी।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जांच अधिकारी के द्वारा स्टोर का निरीक्षण किया गया है। सूत्र बता रहे है कि मरीज को चढ़ाई गई ड्रिप स्टोर से वार्ड में एक्सपायरी होने से पहले ही जारी की जा चुकी थी। नर्स द्वारा मरीज को ड्रिप वार्ड से ले जाकर चढ़ाई गई थी। हालांकि अस्पताल के वार्ड में एक्सपायर्ड ड्रिप कैसे बचा रह इस पर भी सवाल खड़े हो रहे है। मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर जनमेजय महोबे ने तत्काल में रात्रिकालीन ड्यूटी में तैनात एक स्टाफ नर्स तारिणी साहू को बर्खास्त कर दिया था। लेकिन मामले में इस एकमात्र कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठने लगे थे। लोगों में चर्चा थी कि बेपरवाही के इस बड़े मामले में एक नर्स पर बर्खास्तगी की कार्रवाई डैमेज कंट्रोल की कवायद है।

जिसको देखते हुए कलेक्टर के द्वारा एसडीएम राजश्व को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए एक्सपायरी डेट की ड्रिप चढ़ाए जाने के संबंध में विस्तृत जांच कर प्रतिवेदन तीन दिन में प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लेकिन आदेश के कुछ दिन में ही तात्कालीन एसडीएम सिल्ली थामस का प्रभार बदल दिया गया। उनकी जगह पर बालोद एसडीएम का दायित्व राम सिंह ठाकुर को सौंपा गया जो मामले की जांच कर रहे है। जानकारी आ रही है कि जिला अस्पताल को कोविड अस्पताल के तौर पर जब बदल गया तब वार्ड के नाम पर स्टोर से जारी ड्रिप वार्ड में ही रह गई थी और वहीं एक्सपायरी ड्रिप मरीज को चढ़ा दी गई। जबकि ये दवाई कोविड अस्पताल के नाम पर जारी नहीं हुआ था।

एक्सपायर्ड ड्रिप के उपयोग पर सूक्षमता से जांच कर 3 दिन में प्रतिवेदन सौपने कहा गया था। लेकिन डेढ़ माह से ज्यादा हो गए जांच पूरी नही हो पाई है। अब सवाल है नर्स की बर्खास्तगी में इतनी तेजी तो मामले की पूरी जांच की रफ्तार धीमी क्यों। आखिर बेहतर स्वास्थ्य के दावे के बीच होने वाली बड़ी लापरवाही की जांच रफ्तार को कौन ब्रेक लगा रहा ये समझ से परे है। आम चर्चा है कि एक नर्स को बर्खास्त कर बड़े लोगों को बचाने के लिए मामले को दबाया जा सकता है।