बदायूं। दवा व्यापार के लिए अब एक ही नाम से अलग-अलग जिलों में कई लाइसेंस लिए जा सकते हैं। शासन स्तर से लाइसेंस के नियमों में बदलाव किया गया है। नई व्यवस्था के तहत अब एक ही नाम पर अलग-अलग जिलों में थोक या रिटेल दवा व्यापार किया जा सकता है। तो वहीं दूसरी तरफ दवा व्यापारी का कहना है कि दवा व्यापार के नए लाइसेंस के नियमों में बदलाव करके कुछ सहूलियतें दी हैं। इससे दवा व्यापारियों को राहत मिलेगी। अब तक काफी सख्त नियम थे। एक ही दवा व्यापारी को अगर अलग-अलग जिलों में एक ही फर्म के नाम से लाइसेंस मिल सकेंगे तो कागजी कार्रवाई भी कम करनी होगी। दरअसल अब तक फर्म का नाम बदलकर ब्रांच लाइसेंस की व्यवस्था थी। लाइसेंस में दवा व्यापारी का आधार कार्ड भी लिंक किया जाता था।
अब आधार कार्ड को फ्रीज कर दिया गया है। इससे दवा व्यापारियों को राहत मिलेगी। बार-बार औषधि निरीक्षक कार्यालय के चक्कर भी नहीं लगाने होंगेे। गौरतलब है कि अब तक की व्यवस्था में संबंधित दवा व्यापारी को उसके और फर्म के नाम से एक जिले में एक ही लाइसेंस मिलता था। अगर वह दूसरे जिले में दवा व्यापार शुरू करते थे तो इसके लिए दूसरे जिले में दूसरे नाम और दूसरी ब्रांच फर्म के नाम से लाइसेंस लेना होता था। नई व्यवस्था में अब एक ही फार्म और नाम पर दूसरे जिले में भी लाइसेंस मिल सकेगा।
अब तक संबंधित दवा व्यापारी, जिसके नाम से लाइसेंस जारी किया जाता था उसका आधार कार्ड भी लाइसेंस के साथ लिंक किया जाता था, लेकिन अब लाइसेंस से लिंक दवा व्यापारी के आधार कार्ड को हटा दिया गया है। इसके साथ ही शासन ने लाइसेंस प्रक्रिया में कई अन्य बदलाव भी किए हैं। अगर नए आवेदन में कोई त्रुटि होती है तो आवेदन को निरस्त नहीं किया जाएगा। पहले आवेदन निरस्त होने पर नए सिरे से आवेदन करना होता था। जिसके लिए बार-बार चालान जमा करना पड़ता था। अब पहली बार जमा चालान के आईडी और पासवर्ड पर ही खामियों को दूर कर वही आवेदन आगे बढ़ाया जाएगा।
अगर कोई दवा व्यापारी कई जिलों में अपने नाम से लाइसेंस लेना चाहता है और अपनी फर्म का एक ही नाम रखना चाहता है तो नई व्यवस्था में यह सहूलियत तो उसे मिलेगी, लेकिन इसके लिए उसे अलग-अलग जिलों में अलग-अलग फार्मासिस्ट की जरूरत होगी। लाइसेंस के साथ दवा व्यापारी का आधार लिंक नहीं होगा, लेकिन फार्मासिस्ट का आधार लिंक रहेगा। ऐसे में एक ही फार्मासिस्ट के नाम पर दूसरे जिले में लाइसेंस नहीं मिल सकेगा। हालांकि एक ही व्यापारी और एक ही नाम की फर्म के साथ अलग-अलग फार्मासिस्ट लाइसेंस में होने पर अलग-अलग लाइसेंस मिल जाएंगे। दूसरे दवा व्यापारी के मुताबिक दवा व्यापार के थोक और फुटकर लाइसेंस में शासन स्तर से बदलाव किए गए हैं।
अब एक ही दवा व्यापारी अलग-अलग जिलों में अपने और अपनी फर्म के नाम से कई लाइसेंस बनवा सकता है। हालांकि उसको हर लाइसेंस में फार्मासिस्ट अलग रखना होगा। अब तक दवा व्यापारी और फार्मासिस्ट का आधार भी लाइसेंस के साथ लिंक किया जाता था। शासन ने अब लाइसेंस के साथ दवा व्यापारी के लाइसेंस को फ्रीज कर दिया है, जबकि फार्मासिस्ट का आधार कार्ड लाइसेंस के साथ लिंक रहेगा। वहीं औषधि निरीक्षक – नवनीत कुमार के मुताबिक अब तक एक ही दवा व्यापारी को एक ही फर्म के नाम से अलग-अलग जिलों में लाइसेंस नहीं मिलते थे।
ब्रांच फर्म के नाम से लाइसेंस मिल सकता था। नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं। इनका फायदा दवा व्यापारियों को होगा। हालांकि, अब भी लाइसेंस के नियम काफी सख्त ही हैं। बतादें कि जिले में वर्तमान में दवा व्यापार के 563 थोक और करीब 1400 फुटकर लाइसेंस हैं। कुल लाइसेंसों में करीब 60 फीसदी लाइसेंस फार्मासिस्टों के हैं। इसके अलावा अगर औसत लगाया जाए तो प्रतिदिन नए लाइसेंस के लिए औषधि निरीक्षक कार्यालय में पांच से छह आवेदन भी आ रहे हैं। शासन ने दवा व्यापार के थोक और फुटकर लाइसेंस की शर्तों में पिछले दिनों कुछ रियायत दी है। दवा व्यापारी भी काफी समय से इसकी मांग कर रहे थे।