लखनऊ। पिछले दिनों दुनियाभर में वर्ल्ड एड्स डे मनाया गया। इसके कुछ दिन बाद ही एड्स की दवाइयों को लेकर हैरान कर देने वाली बात सामने आई है। नई खबर के मुताबिक, 5 से 6 साल से एड्स की दवाएं ले रहे मरीजों पर इन दवाओं का असर कम होने लगा है। ये समस्या एड्स से पीड़ित 50 फीसदी लोगों के साथ हो रही है। ये बात होश उड़ा देने वाली है।
केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ. हिमांशु ने कहा है कि पांच से छह साल तक एचआईवी की दवा खाने वाले मरीजों के शरीर में मौजूद वायरस इससे लड़ने की क्षमता पैदा कर लेता है। जिस कारण ऐसे मरीजों पर दवा का असर कम हो जाता है। इसी वजह से 5 से 6 साल में एड्स की दवा बदल दी जाती है, ताकि वायरलस इस से लड़ ना सके और ईलाज सही तरीके से होता रहे।
आपको बता दे कि 2 साल पहले पीजीआई चंडीगढ़ और नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च-मोहाली के विशेषज्ञों के शोध में सामने आया था कि लंबे समय से एचआईवी से जूझ रहे मरीजों की दवाएं नहीं बदली गईं तो स्थिति भयावह हो जायेगी। इस रिपोर्ट को अब डॉ हिमांशु के बयान से जोड़कर देखा जाए तो एड्स की दवाओं का बदलना काफी जरूरी है।
उत्तर प्रदेश में एचआईवी से पीड़ित लोगों की बात की जाए तो इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वाले लोग सबसे ज्यादा एचआईवी की चपेट में आ रहे हैं।