पटना। पटना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज कराने आने वाले मरीजों को दवाओं के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। दरअसल, अस्पताल परिसर में मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। इधर, अस्पताल प्रशासन ने परिसर में संचालित दोनों प्राइवेट दवा दुकानों को बंद कर दिया है। बंद हुईं दोनों दवा दुकानों पर 20 से 30 फीसदी सस्ती दरों पर दवाएं मिलती थीं। हालांकि एम्स प्रशासन की ओर से संचालित अमृत फॉर्मा और एक सरकारी दवा दुकान है, लेकिन यहां भी दवाओं का अभाव है। डॉक्टरों की लगातार मांग के बाद भी ज्यादा इस्तेमाल होने वाली 53 दवाएं जो जरूरत की हैं, उनके लिए भी मरीजों को भटकना पड़ रहा है। एक दिन में करीब 5000 मरीजों को दवाओं की जरूरत पड़ती है। एम्स के डॉक्टरों की मानें तो जेनेरिक दुकान में सबसे लो डोज की दवा है। अगर किसी मरीज को दिन में दो-तीन बार 50 एमजी की टैबलेट लेनी है तो दवा दुकान में 25 एमजी में उपलब्ध है। मरीज को दो टैबलेट खानी पड़ती हैं, तब डोज पूरा होता है। इसी प्रकार कई बीमारियों में कंबीनेशन ड्रग्स यूज होते हैं। इनमें प्रिस्क्रिप्शन पर एक दो दवा लिखने से काम चल जाता है। मरीज को लगता है कि काफी कम दवा दी है, लेकिन यहां पर कंबीनेशन ड्रग्स नहीं होने से मरीज को कई दवाएं लेनी होती हैं। इस संबंध में पटना एम्स के निदेशक डॉ. पीके सिंह का कहना है कि दोनों ही दुकानें विवादों में थीं। कई बार इन्हें बंद करने के आदेश आ चुके हैं। वहीं, अमृत दवा दुकान में कम दवा की परेशानी भी जल्द खत्म हो जाएगी। एम्स प्रशासन खुद सरकारी दवा दुकान खोलने जा रहा है। ऑपरेशन वाले मरीजों को पैकेज सिस्टम के अनुसार इलाज किया जाएगा।