नई दिल्ली। एसिडिटी की दवाओं से कैंसर की अफवाह पर फार्मा कंपनियां सकते में आ गई हैं। बता दें कि करीब चार माह पहले अमेरिकी दवा नियामक ने कहा था कि उसे कुछ दवाओं में कैंसर पैदा करने वाले तत्व होने की जानकारी मिली है। इन दवाओं में एसिडिटी के उपचार की प्रमुख दवा रैनिटिडीन भी शामिल है। इससे भारतीय दवा उद्योग को बड़ा झटका लगा, क्योंकि यहां बड़ी तादाद में कंपनियां इस दवा की बिक्री करती हैं। भारत दुनियाभर में रैनिटिडीन के एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रिडिएंट (एपीआई) का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता भी है।
देश में इस दवा की मासिक उत्पादन क्षमता 5,000 टन की है। दवा और फॉर्मूलेशन कंपनियों, दोनों ने अपनी निर्माण प्रक्रियाओं में बदलाव किया है। फॉर्मूलेशन के लिए घरेलू बाजार का आकार 20 प्रतिशत तक घटा है। उदाहरण के लिए, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मा (जीएसके) जैसी प्रमुख कंपनी ने अपने चर्चित ब्रांड जिनटेक को बंद किया है। भारतीय कंपनियों का वैश्विक व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है। यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी ने संदिग्ध इंग्रिडिएंट नाइट्रोसोडीमिथइलेमाइन (एनडीएमए) ने निर्धारित सीमाओं के संदर्भ में कड़े मानक लागू किए हैं। अब इस इंग्रिडिएंट को कैंसरकारक माना गया है।