रोहतक: ऐसा लगता है कि बच्चा चोरी केस के बाद से पीजीआईएमएस को साढ़ेसाती लग गई। 10 सितंबर को जैसे ही लेबर रूम से बच्चा चोरी होने की खबर फैली तो अपने-अपने बचाव के लिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। अब बात इतनी बढ़ गई कि बड़े डॉक्टर और अधिकारी आपस में लडऩे लगे। मान-मर्यादा भूलकर सरेआम तू-तड़ाक पर उतर आए। इलाज में लापरवाही से गुस्साए तीमारदारों को शांत और पुलिस कार्रवाई से दूर रहने की नसीहत देने वाला पीजीआई प्रबंधन अब आपसी झगड़ों को लेकर थाने पहुंचने लगा।

ताजा मामला पीजीआई हेल्थ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ओपी कालरा और डीएमएस एवं लेबर रूम के नोडल अधिकारी डॉ. बिजेंद्र ढिल्लो के बीच झगड़े का है। कुलपति की तरफ से चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर बदाम सिंह की शिकायत पर डॉ. ढिल्लो के खिलाफ आईपीसी की धारा 186 और 500 के तहत पीजीआई थाने में केस दर्ज हुआ है। इस आपसी खींचतान में पीजीआई डॉक्टरों द्वारा चुपचाप की जाने वाली मनमानी सार्वजनिक होने लगी। डॉ. ढिल्लो ने कहा कि लेबर रूम में राउंड पर आए वीसी को टॉयलेट और सहायकों के बैठने की सुविधा मुहैया करवाने को कहा था। साथ ही निरीक्षण के दौरान वीसी से आग्रह किया था कि वह गाउन पहनकर एंट्री करें क्योंकि यह एरिया संवेदनशील है। इतनी-सी बात पर वीसी भडक़ गए और उनके खिलाफ दुव्र्यवहार का आरोप लगाकर केस दर्ज करवा दिया। वीसी ने बयान में कहा कि डीएमएस ने उनका जबरन हाथ पकड़ा, अभद्रता की।

डॉ. ढिल्लो के मुताबिक, अफसरों की कोठियों के रख-रखाव पर लाखों रुपये झटके से खर्च हो जाते हैं लेकिन लेबर रूम में शौचालय के लिए 10 बार लिख चुका हूं, कोई ध्यान नहीं दिया गया। आधी रात को मरीज उन्हें फोन पर शौचालय, बैठने और अन्य असुविधाओं को लेकर शिकायत करते हैं। कहने को देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान में इसे पलीता लग रहा है।

इस सबके बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने पीडि़त परिवार को अपने निवास अंबाला बुलाकर आश्वस्त किया कि अतिशीघ्र चोरी हुआ बच्चा तलाशेंगे। साथ ही अपने अंदाज के अनुरूप कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। ताजा घटनाक्रम को लेकर स्वास्थ्य मंत्री से फोन पर संपर्क किया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो सके। खैर, प्रदेश में चिकित्सा-शिक्षा के इस सबसे बड़े ए ग्रेड संस्थान में निचले ग्रेड की पॉलीटिक्स शुरू हो गई। मरीज दवा और इलाज के लिए भटक रहे हैं लेकिन प्रबंधन उनका ख्याल छोड़ अपने हितों की लड़ाई में उलझा है।

उधर, समाज में एक संगठन ने डॉ. आरके गुप्ता को निदेशक पद से हटाने और पीवीसी डॉ. वी.के. जैन का कार्यकाल नहीं बढ़ाने का विरोध कर सबका ध्याना खींच लिया। महाराजा अग्रसेन ट्रस्ट के बैनर तले अग्रवाल समाज ने इन दोनों मुद्दो पर सिटी मजिस्ट्रेट के मार्फत मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। ध्यान रहे कि बच्चा चोरी केस से पहले भी डॉ. गुप्ता पर भ्रष्टाचार और धोखेबाजी के गंभीर आरोप लगे हैं। गेस्ट्रो विभागाध्यक्ष डॉ. प्रवीण मल्होत्रा की शिकायत पर डॉ. गुप्ता के खिलाफ 420 का मुकदमा दर्ज हो चुका है। यह अलग बात है कि इस मामले में महीनों बीतने के बाद भी वह कुर्सी पर जमे रहे।