नई दिल्ली। देश में पिछले कुछ हफ्तों में फंगल इंफेक्शन के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। भारत के कई राज्यों ने ब्लैक फंगस को एपीडेमिक घोषित कर दिया है। हालांकि, म्यूकोर-मायकोसिस असामान्य या नई बीमारी नहीं है, लेकिन कोविड-19 महामारी के समय दूसरे संक्रमण का तेज़ी से फैलना, उच्च मृत्यु दर और एंटीफंगल दवाइयों का उपलब्ध न होना, लोगों के बीच ब्लैक फंगस को लेकर डर पैदा कर रहा है। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि म्यूकोर्मिकोसिस हर व्यक्ति को प्रभावित करेगा, लेकिन यह उन लोगों के लिए गंभीर और जानलेवा हो सकता है, जो पहले से स्वास्थ्य जटिलताओं या बड़ी बीमारियों से ग्रस्त हैं। जिन लोगों की इम्यूनिटी इस वक्त किसी वजह से कमज़ोर है, वे इस फंगल संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। आइए जानें कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन से बचाव के लिए किन लोगों को सावधानी बरतनी ज़रूरी है। इस वक्त किसी भी तरह के फंगल संक्रमण की चपेट में आने का जोखिम उन लोगों के लिए ज़्यादा है, जो हाई ब्लड शुगर लेवल या अनियंत्रित मधुमेह से पीड़ित हैं।

डायबिटीज़ गंभीर रूप से सूजन को बढ़ाता है और शरीर की प्रतिरक्षा को दबा देता है, वहीं उच्च ग्लूकोज़ स्तर भी फंगस को शरीर में आसानी से प्रवेश करने, पनपने और महत्वपूर्ण जटिलताओं का कारण बनने की सुविधा प्रदान करता है।डायबिटीज़ के मरीज़ों में त्वचा से जुड़े संक्रमण, चोटें अक्सर लगती रहती हैं, जो फंगस को शरीर में प्रवेश करने में मदद कर सकती हैं। जो लोग गंभीर डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, और उन्हें C-19 भी है, तो उनमें ब्लैक फंगस का जोखिम बढ़ जाता है। कुछ ऐसी स्थितियां, जिसमें ऑटोइम्यून विकार प्रतिरक्षा प्रणाली को अच्छी तरह से काम करने या रोगजनकों से शरीर की रक्षा करने से बाधित कर सकते हैं। ब्लैक फंगस शरीर में तब फैलता है, जब कोई व्यक्ति हवा या दूषित परिवेश में सांस के ज़रिए इन्हें शरीर में अंदर लेता है।

अगर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमज़ोर है या खराब है, तो रिकवरी लंबी खिंच सकती है, अन्य महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकती है और उपचार को धीमा कर सकती है। इसलिए जिन लोगों की इम्यूनिटी कमज़ोर है, या अक्सर बीमार पड़ जाते हैं, उन्हें ज़्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, इम्यून सिस्टम को दबाने में एचआईवी-एड्स का सबसे बड़ा योगदान होता है। जिसकी वजह न सिर्फ एक HIV पॉज़ीटिव से पीड़ित व्यक्ति किसी भी बीमारी की चपेट में आसानी से आ जाता है, बल्कि अक्सर, फंगल संक्रमण भी विकसित कर लेता है।

इस दौरान ठीक होने में लंबा समय लग जाना, खराब परिणाम और यहां तक कि मृत्यु दर का बढ़ जाना जैसे जोखिम शामिल होते हैं। इस तरह का जोखिम उन लोगों के साथ भी जुड़ा होता है, जो कैंसर से लड़ चुके हैं या लड़ रहे हैं, स्टेरॉड्स का इस्तेमाल किया है।इस वक्त ब्लैक और वाइट फंगस के मामले ज़्यादातर उन लोगों में देखे जा रहे हैं, जो हाल ही में -19 से रिकवर हुए हैं या कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। C-19 से लड़ने पर शरीर कमज़ोर हो जाता है और इसलिए दूसरे संक्रमण की चपेट में आ जाना आसान है। गुर्दे की क्षति और विफलता आपकी प्रतिरक्षा के लिए खराब हो सकती है क्योंकि यह आपके सिस्टम को कमजोर कर सकती है और रोगाणुओं और रोगजनकों के लिए प्रवेश करना और परिणामी क्षति का कारण बन सकती है।