नई दिल्ली। ऑनलाइन दवा कारोबार को जल्द ही कानूनी आधार मिलने जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्य सरकारों, दवा नियामकों व दवा उद्योगों को प्रस्तावित योजना का मसौदा भेजकर राय मांगी है। इस मसौदे के तहत ई-फार्मेसी ड्रग कंट्रोलर लाइसेंस से चलेगी। इससे राज्यों में अलग लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है। यह कवायद डाटा का दुरुपयोग रोकने के लिए की जा रही है।
जानकारी के अनुसार ऑनलाइन दवा बाजार अब तक बिना किसी ठोस नियम के चल रहा है। इसमें ऑनलाइन बिक्री पर ठोस निगरानी की व्यवस्था की गई है। साथ ही यह भी तय किया गया है कि ई-फार्मेसी कंपनी जिस भी राज्य में बिक्री करना चाहेगी, उसमें उसे अपना आफिस खोलना होगा और अलग से इजाजत लेनी होगी। मौजूदा कानूनों के तहत दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को इजाजत नहीं है। इसके बावजूद यह कारोबार काफी तेजी से बढ़ रहा है और छोटे शहरों में भी लोकप्रिय हो रहा है। ऐसे में जल्द ही औषधि और सौंदर्य प्रसाधन कानून के तहत नियमों में बदलाव कर इसको इजाजत देने की तैयारी की जा रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित प्रावधान में कहा गया है कि दवा कारोबार की निगरानी के लिए बनाई जा रही नई व्यवस्था में ऑनलाइन दवा कारोबार को भी शामिल किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि जब तक सभी लाइसेंसिंग अथॉरिटी की सीमा में एक कार्यालय के रूप में भौतिक उपस्थिति नहीं होगी, ई-फार्मेसी को उस इलाके में बिक्री की इजाजत नहीं दी जा सकेगी। कारोबार सुगमता की स्थिति को बेहतर करने के लिए केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए विभिन्न बंदरगाहों पर दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधन निर्यात के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के प्रावधान को समाप्त कर दिया है। सीडीएससीओ के नोटिस में कहा गया है कि यदि लाइसेंसधारक विनिर्माताओं द्वारा माल को बाहर भेजने के बिल के साथ वैध लाइसेंस की प्रति भी दी जाएगी, तो एनओसी की जरूरत नहीं होगी।