नई दिल्ली। ऑनलाइन दवा पर निर्धारित समय सीमा में केंद्र सरकार नीति नहीं बना पाई है। इसके चलते दिल्ली HC ने केंद्र सरकार को फटकारा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को वार्निंग के साथ इस मामले की सुनवाई 3 सितंबर, 2024 को तय की है।
दिल्ली स्थित साउथ केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के अनुसार केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि वह निर्धारित समय सीमा में ऑनलाइन दवाओं की बिक्री के लिए नीति नहीं बना पाई है।
यह है मामला
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस साल मार्च में सरकार को नीति बनाने के लिए चार महीने का अंतिम अवसर दिया था। कोर्ट ने चेताया था कि अगर ऐसा केंद्र इसे नहीं कर पाता तो वह इस मामले को मेरिट के आधार पर सुनेगा।
केंद्र ने अगस्त 2018 में ऑनलाइन दवाओं की बिक्री के लिए एक मसौदा अधिसूचना जारी किया था। इसके बाद ये याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाओं में तर्क दिया गया कि दवाओं और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की ऑनलाइन बिक्री अवैध है और कानून का कोई आदेश नहीं है।
दिसंबर 2018 में, दिल्ली हाईकोर्ट ने ई-फार्मेसियों द्वारा दवाओं की ऑनलाइन बिक्री रोकने का आदेश पारित किया था। इसके लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 और फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत अनुमति नहीं थी। मंत्रालय तब से नीति बनाने के लिए समय विस्तार का अनुरोध करता आ रहा है।
नवंबर 2023 में, मंत्रालय ने फिर से अधिक समय का अनुरोध करते हुए कहा कि ऑनलाइन दवाओं की बिक्री का विषय जटिल प्रकृति का है। दवाओं की बिक्री के तरीके में कोई भी संशोधन दूरगामी परिणाम होंगे और कई अधिनियमों और नियमों/विनियमों में परिवर्तन शामिल होंगे। अदालत ने तब निर्देश दिया था कि अगर निर्धारित अवधि के भीतर नीति नहीं बनाई जाती है, तो इस नीति से निपटने वाले संयुक्त सचिव को अगली सुनवाई की तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा।
जॉइंट सेक्रेटरी की उपस्थित में सरकार को नीति बनाने के लिए जुलाई 2024 तक का अंतिम अवसर दिया गया था। अब ऑनलाइन दवा बिक्री के इस मामले की सुनवाई 3 सितंबर, 2024 को तय की गई है।