संगरूर। दुनिया भर में एक बार कोरोना ने फिर से अपना कहर बरपाना शुरू का दिया है। एक तरफ लोग कोरोना महामारी के कारण काफी सारी परेशानियों का सामना कर रहे है। तो वहीं दूसरी तरफ इस कड़ी में मरीजों के लिए काफी सारी दिक्कतें सामने आ रही है। बता दें कि मरीजों को अब समय पर दवा नहीं मिल पाना सबसे बड़ी मुश्किल बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ जिले के ओट सेंटरों पर नशामुक्ति की दवा लेने वाले मरीजों की गिनती में भी इजाफा हो रहा है। गेहूं के सीजन के दौरान लेबर मंडियों व गेहूं की कटाई में व्यस्त है, वहीं इन्हें अपने नशे की आदत से छुटकारा पाने के लिए रोजाना दो-तीन घंटे अस्पतालों में बने ओट सेंटरों में दवा लेने के लिए बर्बाद करने पड़ रहे हैं।
रोजाना ही अस्पताल के ओट सेंटरों पर दवा लेने वालों की कतारें लग जाती हैं लेकिन केवल एक दिन की ही दवा ही मिलने के कारण इन मरीजों में रोष पाया जा रहा है। मरीजों की मांग है कि उन्हें एक सप्ताह या एक माह की इकट्ठी दवा दी जाए, ताकि उन्हें रोज-रोज अस्पताल के चक्कर न लगाने पड़ें, लेकिन यह किसी भी रूप से संभव नहीं हो पा रहा है।
लहरागागा के सिविल अस्पताल में मौजूद ओट सेंटर पर दवा लेने के लिए आने वाले मरीजों ने सरकार व सेहत विभाग के खिलाफ रोष जाहिर किया। मरीज दर्शन कुमार ने कहा कि गेहूं की कटाई का समय है। सुबह दिहाड़ी पर जाने से पहले वह अस्पताल में आता है। नौ बजे से पहले वह दवा लेने के लिए पहुंच जाता है, जहां एक-दो घंटे दवा लेने में निकल जाते हैं। केवल एक दिन की ही खुराक मिलती है, जिसे लेकर जब वह दिहाड़ी पर लौटता है तो जमींदार भी उसे वापस भेज देते हैं कि आधा दिन तो निकल गया है। ऐसे में रोजाना दिहाड़ी का नुकसान होता है। वह पिछले करीब तीन वर्ष से दवा ले रहा है।
मरीज मनजीत सिंह ने कहा कि उसे भी रोजाना दवा लेने के लिए ओट सेंटर आना पड़ता है। यहां से केवल एक दिन ही दवा मिलती है, वह भी एक माह बाद उन्हें संगरूर सिविल अस्पताल जाने के लिए कह दिया जाता है। एक-एक माह की अगर दवा मिल जाए तो उन्हें रोजाना ओट सेंटर के चक्कर लगाने से छुटकारा मिल जाएगा। कोरोना का प्रकोप फिर से बढ़ने लगा है। ऐसे में रोजाना अस्पताल आने से कोरोना का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे ही अन्य मरीजों ने रोजाना हवा लेने के लिए आने की समस्या बयान की। कोरोनाकाल में मरीजों की गिनती बढ़ी, सीमित मात्रा में आ रही दवा
लहरागागा के अस्पताल में ओट सेंटर की संचालिका का कहना है कि कोरोनाकाल के दौरान मरीजों की गिनती काफी बढ़ गई थी। अब दवा सीमित मात्रा में ही आती है, जिसे हर मरीज को मुहैया करवाना जरूरी है। इसलिए हर दिन मरीजों को रोजाना की डोज दी जाती है। हर मरीज का हर एक माह बाद चेकअप भी जरूरी है, ताकि मरीज की स्थिति का पता चल सके। इसलिए एक माह बाद संगरूर सिविल अस्पताल में डाक्टर से चेकअप करवाने व दवा की डोज निर्धारित करवाने के लिए मरीज को जाने के लिए कहा जाता है।
बता दें कि डा. दीपक सिविल अस्पताल संगरूर नशामुक्ति केंद्र के मनोविज्ञान माहिर डा. दीपक का कहना है कि जिले में 12 ओट सेंटर, दो नशामुक्ति केंद्र व एक पुनर्वास केंद्र हैं। यहां पर रोजाना ही मरीजों को ओट सेंटर से नशामुक्ति की दवा की डोज दी जाती है। हर माह मरीज को अपना चेकअप करवाना जरूरी है। इसलिए उन्हें संगरूर अस्पताल आने के लिए कहा जाता है। मरीज के चेकअप करके ही डोज कम करने, या बढ़ाने या दवा बंद करने की सलाह दी जाती है। मरीजों को स्थिति को समझना चाहिए। रोजाना डोज ओट सेंटरों से प्राप्त करें।