नई दिल्ली : फाइजर ने घोषणा करते हुए कहा कि उसकी एमआरएनए वैक्सीन की तीसरी खुराक कोविड-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाव कर सकती है.

कंपनी ने एक बयान में कहा कि एक प्रारंभिक प्रयोगशाला अध्ययन के परिणामों से पता चला है कि फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19 वैक्सीन (बीएनटी162बी2) से प्रेरित सीरम एंटीबॉडी तीन खुराक के बाद सार्स-सीओवी-2 ओमिक्रॉन वैरिएंट को बेअसर कर देती है.

कंपनी के अनुसार, तीसरी खुराक कई स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ सीडी8प्लस टी सेल के स्तर को ²ढ़ता से बढ़ाती है, जिन्हें गंभीर बीमारी से सुरक्षा के साथ सह-संबंधित (को-रिलेट) माना जाता है.

ओमिक्रॉन के खिलाफ अपनी वैक्सीन के प्रभावीकरण को लेकर बायोएनटेक और फाइजर प्रोड्यूसर्स ने अपने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि वैक्सीन की दोनों खुराक एंटीबॉडी को थोड़ा कम विकसित करती हैं, लेकिन तीसरी खुराक (बूस्टर डोज) से व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी 25 प्रतिशत और बढ़ जाता है. कुल मिलाकर वैक्सीन के तीसरी डोज लगाते ही शरीर में ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए एंटीबॉडी सक्षम हो जाती है.

देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले पाए जाने के साथ ही केंद्र और राज्य सतर्क हैं सभी के जेहन में सवाल है कि क्या वैक्सीन इस नए खतरनाक वैरिएंट के खिलाफ कारगर है या नहीं? इस पर बायोएनटेक और फाइजर ने लैब में परीक्षण के बाद दावा किया है कि उनके कोविड-19 वैक्सीन के तीन शॉट नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को बेअसर करने में सक्षम हैं.

कंपनी के अनुसार, जिन लोगों ने एक महीने पहले वैक्सीन की बूस्टर डोज ली थी, उनकी एंटीबॉडी ओमिक्रॉन वैरिएंट से लड़ने के लिए सक्षम है। कंपनी ने कहा है कि वैक्सीन की दो खुराक लेना ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए इसकी तीसरी खुराक लेनी पड़ेगी.

इसकी दो खुराक ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए अपर्याप्त बताई गई हैं, लेकिन तीसरी डोज के साथ ही संक्रमण से बचाव बताया जा रहा है.

हालांकि, कंपनी का मानना है कि टीका लगाए गए व्यक्तियों को अभी भी बीमारी के गंभीर वैरिएंट से बचाया जा सकता है और विश्व स्तर पर ओमिक्रॉन के खिलाफ वास्तविक विश्व प्रभावशीलता की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं.