जमुई। औषधि नियंत्रण प्रशासन की अपडेट सूची से वर्तमान में 165 दवा दुकानें नहीं हैं, जबकि लाइसेंस जारी करने की संख्या करीब 600 है। जिस तरह से शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में दवा दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसके अनुसार विभाग के आंकड़े भरोसे लायक नहीं हैं।
 विभाग की मानें तो वरीय पदाधिकारी के द्वारा लगातार क्षेत्र में लाइसेंसी दवा दुकानों की जांच-पड़ताल भी की जा रही है और दोषी पाये जाने वालों पर कार्रवाई भी की जा रही है। लेकिन दवा दुकानों तथा विभाग के पदाधिकारियों के मेलजोल से विभाग के नियमों को नजरअंदाज होते भी देखने को मिल रहा है। वर्तमान में औषधि निरीक्षक केके शर्मा का कहना है कि सरकार द्वारा दवा के लाइसेंस को लेकर बनाया गया अधिनियम वर्षों पुराना है। हालांकि आम लोगों के हित को लेकर समय-समय पर इसमें संशोधन भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि विभाग के द्वारा दो तरह के लाइसेंस निर्गत किया जाता है। पहला थोक एवं दूसरा खुदरा। आवेदन के बाद उक्त कागजातों की जांच एवं स्थलीय निरीक्षण भी किया जाता है। बाद में वरीय पदाधिकारी के निर्देशानुसार लाइसेंस पांच वर्षों के लिए जारी किया जाता है।
औषधि निरीक्षक केके शर्मा ने बताया कि निर्गत लाइसेंस को शीघ्र ही अपटूडेट की सूची में शामिल कर लिया जाएगा। दवा व्यवसाय आम लोगों के जीवन से जुड़ा है। इसे लेकर पूरी सतर्कता के साथ विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है। शिकायत मिलने एवं आवश्यक जांच के बाद दोषी व्यक्ति पर कार्रवाई भी किया जा रहा है।