हाथरस (उत्तर प्रदेश)। शामली के औषधि निरीक्षक मनुशंकर अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के छह साल पुराने मामले की तलवार लटक गई है। तब वे हाथरस में तैनात थे। भ्रष्टाचार निवारण संगठन के निरीक्षक ने उनके खिलाफ रिश्वत लेने के मामले में कोतवाली हाथरस गेट में केस दर्ज करवाया है। मेडिकल स्टोर संचालक की शिकायत पर जांच के बाद यह कार्रवाई हुई है।
जानकारी अनुसार मनुशंकर वर्ष 2008 से दिसंबर 2013 तक हाथरस में बतौर औषधि निरीक्षक तैनात रहे। गांव बस्तोई के योगेश कुमार ने शासन में शिकायत की थी कि वह गांव में मेडिकल स्टोर खोलना चाह रहे थे। इसके लिए औषधि लाइसेंस बनवाना था। वह फार्म व अन्य प्रपत्रों के साथ तहसील सदर स्थित औषधि निरीक्षक कार्यालय पहुंचे। आरोप है कि औषधि निरीक्षक ने लाइसेंस के एवज में 50 हजार रुपये मांगे। रिश्वत न देने पर चालान फार्म निरीक्षक ने पास नहीं किया। योगेश ने इस संबंध में जिलाधिकारी से शिकायत की। इसके बाद औषधि निरीक्षक ने 27 फरवरी 2013 को चालान फार्म को पास कर दिया। दूसरे दिन योगेश ने निर्धारित फीस जमा कर दी। आरोप है कि औषधि निरीक्षक ने शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। इसके बाद ही लाइसेंस जारी करने की बात कही। इस बारे में 15 अप्रैल को फिर से डीएम से शिकायत की गई। शिकायतों के चलते 20 मई 2013 को लाइसेंस स्वीकृत हो गया। सूचना पर 3 जून 2013 को योगेश औषधि निरीक्षक कार्यालय पहुंचे। आरोप है कि तत्कालीन औषधि निरीक्षक मनुशंकर अग्रवाल ने शपथपत्र देकर शिकायत वापस लेने तथा 30 हजार रुपये बतौर रिश्वत देने के बाद ही लाइसेंस देने की बात कही। योगेश के अनुसार लाइसेंस की खातिर उन्होंने तीन जून को शिकायत वापसी का शपथपत्र दिया। इसके साथ ही मनुशंकर अग्रवाल के कहने पर उनके मित्र को कार्यालय के बरामदे में 30 हजार रुपये दिए। शासन में शिकायत पर मामले की जांच भ्रष्टाचार निवारण संगठन की झांसी इकाई में चल रही थी। जांच में आरोप सही पाए जाने पर संगठन के प्रभारी निरीक्षक सुरेंद्र सिंह ने मनुशंकर निवासी मुफ्फरनगर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।