गोरखपुर (उप्र)। कब्ज, गैस और एसिडिटी के इलाज की दवाइयों के सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं। ड्रग विभाग की जांच मे बाजार में मौजूद ज्यादातर दवाएं अधोमानक मिल रही हैं। ये दवाएं मरीजों पर अपना असर नहीं दिखा पा रही। कई दवाओं के सैंपल जांच में फेल मिल रहे हैं। ड्रग विभाग ने जिले में वर्ष 2023-24 में 197 दवाओं के सैंपल लिए। इनमें से 144 दवाओं की रिपोर्ट विभाग को मिल चुकी है। खास बात यह की आठ दवाओं के सैंपल मानकों पर खरे नहीं मिले।
चार दवाएं एसिडिटी के इलाज में आती हैं काम
सैंपल फेल वाली दवाओं में से चार दवाएं एसिडिटी के इलाज में प्रयोग की जाती हैं। ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि गैस, कब्ज, खट्टी डकार के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाएं इस श्रेणी में आती हैं। विभाग की जांच में रैबीटाइम डीएसआर, रैएबी डीएसआर, रेबिस्ट डीएसआर और राबीजोल डीएसआर के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं।
एंटीबायोटिक इंजेक्शन जेंटामाइसिन के सैंपल फेल
एंटीबायोटिक और दिल की दवा के सैंपल भी फेल मिले हैं। ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि गैस की दवा के अलावा एंटीबायोटिक इंजेक्शन जेंटामाइसिन के सैंपल फेल आए हैं। इसे सर्जरी के दौरान दिया जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बिगडऩे के कारण होने वाले आटोइम्यून बीमारियों में हाइड्रोकॉर्टिसोन स्टेरॉइड इंजेक्शन दिया जाता है। यह दवा तेजी से बढ़ रही रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करता है। इसका भी नमूना सैंपल हो गया है।
ये दवा भी मिली फेल
हार्ट अटैक, उच्च रक्तचाप या ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में रक्तचाप नियंत्रण के लिए दी जाने वाली टेल्गोसाल 20 एमजी का नमूना भी फेल हुआ है। एंटीबायोटिक टेबलेट सिफाडॉक्स सीवी का नमूना भी मानक के मुताबिक नहीं मिला है। 136 दावों के सैंपल मानक के अनुसार मिले हैं। अभी भी 53 दवाओं के नमूनों की रिपोर्ट विभाग को नहीं मिल पाई है।
ज्यादातर दवाएं हिमाचल में बनी हैं
बताया गया है कि जिन दवाओंं के सैंपल मानक के मुताबिक नहीं मिले हैं। उनमें से ज्यादातर ने हिमाचल प्रदेश की निर्माता कंपनियों से दवाओं को बनवाया है। यह सब जेनेरिक फर्म की दवाएं हैं। इन दवाओं में रैपर पर दावा किए गए मानक के मुताबिक उसमें क्षमता नहीं मिली है। इस बारे में संबंधित राज्य के अधिकारियों को भी सूचित किया गया है।